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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१९५

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आल्हखण्ड। १९०

पकरिकै बाहू द्वउ ऊदन की मलखे छाती लीन लगाय॥
तीनों चलिभे फिरि खन्दकसों आल्हा निकट पहूँचे आय ४५
राजा बोल्यो फिरि आल्हा सों मानो कही बनाफरराय॥
कैदी छोड़ो द्वउ पुत्रन को अबहीं ब्याह लेउ करवाय ४६
ऊदन बोले फिरि राजाते तुम्हरी कौन करै परतीति॥
गंगा करिकै दादै लैकै घरमाँ किह्योजाय अनरीति ४७
दया आयगै फिरि आल्हाके गंगा फेरि लीन करवाय॥
कैद छुड़ायो दउ पुत्रन को पण्डित तुरतै लीन बुलाय ४८
देखिपत्तरा पण्डित बोल्यो भाँवरि आजु लेउ करवाय॥
इतना सुनिकै राजा चलिभा दोऊ पुत्रन साथ लिवाय ४९
आल्हा पहुंचे जनवासे में राजा महल पहूँचा जाय॥
लिल्ली घोड़ी माहिल चढ़िकै राजा घरै गये फिरि धाय ५०
बड़ी खातिरी राजा कीन्ह्यो माहिल बैठि महल में जाय॥
माहिल बोले फिरि राजाते मानो कही बिसेनेराय ५१
जितने ठाकुर आल्हा घरके मड़येतरे लेउ बुलवाय॥
शूर कुरियन में बैठारो सबके मूड़लेउ कटवाय ५२
इतना कहिकै माहिल चलिभे पथरीगढ़ै पहूँचे आय॥
किह्यो तयारी ह्याँ मड़ये की यहु गजराजा खंभ गड़ाय ५३
सूरज बेटा को बुलवायो तासों कह्यो हाल समुझाय॥
सुनिकै बातैं सब राजा की सूरज चलिभा शीशनवाय ५४
जायकै पहुॅच्यो जनवासे में जहँ पर बैठि बनाफरगय॥
कह्यो हकीकति सबआल्हासों सूरज बार बार शिरनाय ५५
सुनिकै बातैं सब सूरज की आल्हा हुकुम दीन फर्माय॥
ठावैं घरैया सब मड़ये को यह कहिदियो बिसेनेगय ५६