पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२०६

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ब्रह्माका विवाह । २०१ पढ़ि दलगंजन की पीठी पर ताहर नाहर भयो तयार।। नाई बारी सँग में लीन्हे पहुँचे माहिल के दरबार ३६ आवत दीख्यो जव ताहर को माहिल बहुत गयो घबड़ाय ।। माहिल बोले फिरि ताहर ते बेटा कुशल देउ बतलाय ३७ ताहर बोले फिरि माहिल ते ठाकुर उरई के सरदार ।। टीका लाये हम बहिनी का घूमत बिते महीना चार ३८ कुँवर बतावो क्यहु क्षत्री का मोको पूत आपनो जान ॥ माहिल बोले तब ताहर ते मानो कही बीर चौहान ३६ अजयपाल कनउज का राजा राजन मध्य वीर सरदार ।। ताको लड़िका रतीभान भो जाकी जगजाहिर तलवार ४०. ताको लड़िका लाखनि राना दीका तासु चढ़ावो जाय॥ इतना सुनिकै ताहर चौड़ा तुरतै कूचदीन करवाय ४१ जायके पहुँचे फिरि कनउज में जहँपर भरी लाग दरखार ।। को गति बरणे चन्देले के आली खानदान सरदार ४२ ताहर दीख्यो जब जयचंद को तुरतै कीन्ह्यो राम जहार ।। चिट्ठी दीन्ह्यो फिरि जल्दी सों लीन्ह्यो कनउजके सरदार ४३. पदिक चिट्ठी राहुटू बैगा नैना अग्निवरण भे लाल । ले जा चिट्ठी कहुँ अनते को मेरो बड़ो पियारो बाल ४४. ताहर चौड़ा दूनो जरिकै तुरतै कूच दीन करवाय ।।। पार उतरिकै श्रीयमुना के उरई निकट पहुंचे आय ४५ मलखे ठाकुर त्यहि समया में. मारन आयो तहां शिकार ॥ ताहर चौंड़ा मलखे ठाकुर मारग भेटिगये सरदार ४६ कुशल प्रश्न ताहर सों कहिक बोला वचन बीर मलखान ।। कोने मतलब को निकरेही नाहर दिल्बीके चौहान ४७.