कउनसो काज अकाज भयो महराज गयउ जहँ लाज गवाँई॥
सुक्खको साज समाज करउ रघुराज सदा मम लाज बचाई।
घबड़ानको आज न काज कछू हम ब्याहकरैं बछराजदुहाई ७१
सुनिकै बातैं मलखाने की राजा गयो सनाकाखाय॥
मलखे चलिभे फिरि महलनको मल्हना पास पहूंचे जाय ७२
चिट्ठी पढ़िकै पृथीराज की मलखे हाल दीन बतलाय॥
सुनिकै चिट्ठी पृथीराज की मल्हनागई तुरत कुँभिलाय ७३
तारा टूटे आसमान में थर थर धरा गई तब हाल॥
चील्है छाई राजमहल में रोवन लागे श्वान शृगाल ७४
मल्हना बोली तब मलखे ते अशकुन बहुत परैं दिखलाय॥
क्वारो ब्रह्मा घरमें रहिहै टीका आप देउ लौटाय ७५
सुनिकै बातैं ये मल्हना की मलखे बोले बचन रिसाय॥
ब्याह विधाता यह रचिराखा टीका कौन सकै लौटाय ७६
सदा न फूलै कहुँ वन तोरई माई सदा न सावन होय॥
सदा जवानी नहिं स्थिर है माई सदा न वर्षा होय ७७
टीका फेरो जो दिल्ली का माता होउ जगत बदनाम॥
जातिके ओछे मोहबे वाले यह है देश-देश सरनाम ७८
होय नतैती जो दिल्ली में पूरण होयँ हमारे काम॥
झुन्ना नैनागढ़ माड़ो में हमपर कृपाकीन सियराम ७९
ये सब अशकुन हैं ताहर को माता कहां ज्ञान गा त्वार॥
अवै कबुतरी ना बुड्ढी भै ना बल खाय गई तलवार ८०
बार जो बाँका जा ब्रह्मा का हमरो मूड़ लियो कटवाय॥
बातैं सुनिकै ये मलखे की मल्हना दीन्ह्यो बाँह गहाय ८१