बहुत कामहैं यहि समया में ताते सक्यों नहीं मैं आय २०
सुनि संदेशा दिल्लीपति का बोला तुरत कनौजीराय॥
सरबरि हमरी का नाहीं है ह्याँ मुहँ कौन दिखावैं आय २९
सुनिकै बातैं चन्देले की हिरसिंह ठाकुर उठा रिसाय॥
ऐसी तुमको पै चहिये ना जैसी कहौ कनौजीराय ३०
आज पिथौरा सब लायक है ठाकुर समरधनी चौहान॥
सनमुख लरिहै जो संगर में रहिहै नहीं तासु को मान ३१
हम तो नौकर पृथुइराज के तैसे नौकर अहिन तुम्हार॥
कच्ची बातैं पै कहिये ना राजा कनउज के सरदार ३२
हमैं बतइये अब टिकने को ओ महराज कनौजीराय॥
थके थकाये हम आये हैं दोऊ नैन रहे अलसाय ३३
पाछे ठाढ़े पृथुइराज है तिनको दीख चँदेलाराय॥
मन अनुमान्योतब बहुविधिसों औ मन्त्रीको लियोबुलाय ३४
सुखिया वांदी को बुलवाओ तासों पान दिवाओ आय॥
वह पहिचानै भल पिरथी को सनमुख जातै गई लजाय ३५
सुनिकै बातैं महराजा की मन्त्री चाकर लीन बुलाय॥
तिनसों मंत्री यह ब्वालत भा सुखिया बांदी लओबुलाय ३६
पाहुन आये हैं दिल्ली सों तिन को पान खवावै आय॥
एक के कहतै तब दुइदौरे चाकर तीन पहूंचे जाय ३७
सुखिया सुखिया कै गोहरावा सुखिया बांदी बात बनाउ॥
तुम्हैं बुलावा महराजा है जल्दीनिकरि महलतेआउ ३८
सुनिकै हल्ला तिन चकरन को सुखिया चलीतड़ाकाधाय॥
द्वारे आई दरवाजे के पूंछनिलागिहालसबआय ३९
हाल पायकै सब चकरन ते मनमाँ गई सनाका खाय॥
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आल्हखण्ड।
