पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२१०

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ब्रह्माका विवाह । २०५ जस मनभावै मलखाने के तैसी करो बनाफरराय ।। बड़ी खुशीभै मलखाने के फूले अंग न सके समाय ८२ बड़ी प्रशंसाकी मल्हना की मलखे बार बार शिरनाय ।। शाका चलिहै महरानी तव ईजति हमरी लियो बचाय ८३ बारु न बांका इनका जैहै ओ महरानी बात वनाय ।। जहाँ पसीना इनका गिरिहैं तहँ मैं देहौं खून बहाय ८४ करो तयारी अब जल्दी सों ताहर टीका देय चढ़ाय ।। चातें सुनिक मलखानेकी मल्हना हुकुम दीन फर्माय ८५ बाँदी लीपन चौका लागी छींक्यो एक पुरुषने आय ॥ मल्हना बोली तब मलखे ते अशकुन बहुत परें दिखराय८६ टीका फेरो तुम दिल्ली का मानो कही बनाफरराय । चात मुनिक ये मल्हना की बोला तुरत लहुस्वाभाय ८७ रीका फिरिहै जो दिल्ली का होई देश हँसौवा माय ।। कीन तयारी जब माड़ो की तबहूं छींक भई थी आय ८८ तवह रोक्यो महरानी तुम माड़ो फते कीन हम जाय । शकुन हमारो फिरि वैसे भा शंका कौन गई मन पाय ८६ सुनिकै वात उदयसिंह की मल्हना ठीक लीन उहाय ।। ऊदन मलखे दउ मनिहैं ना अव अनहोनी परै दिखाय ६० बड़ा लडैया दिल्ली वाला है सब राजन में शिरताज ।। तुम्ही गोसइयाँ दीनबन्धुही स्वामी रामचन्द्र महराज ६१ परो साँकरो अब हमपर है राखन हार तुम्ही रघुराज ॥ हम सुनिराखा है विश्न सों राख्यो सदा भक्तकी लाज ६२ गौतम नारी को तुम तारा केवट लीन्ह्यो हृदय लगाय ।। मांस अहारी गृढे तास्यो भीलिनिदर्शदिखायो जाय ६३