सुनिकै बातैं ये मल्हना की ऊदन बोले माथ नवाय॥
टीका फेरागा दिल्ली का तौमुँहकौन दिखावाजाय १०६
इतना कहिकै ऊदन ठाकुर तुरतै डारा सांग उखार॥
ऊदन बोले फिरि ताहर सों नाहर दिल्ली के सरदार १०७
हम तो नौकर परिमालिक के तिन यह डारा सांग उखार॥
ऐसे नौकर जिनके घरमाँ तिनसे कौन करै तलवार १०८
सुनिकै बातैं ये ऊदन की ताहर मनै गयो शर्माय॥
बीरा दीन्ह्यो ताहर ठाकुर ब्रह्मा बीरागये चबाय १०९
छींक तड़ाको भै सम्मुखमाँ मल्हना रोय उठी घबड़ाय॥
ब्याह न करिहौं मैं ब्रह्मा का मानो कही बनाफरराय ११०
हमैं चाह है नहिं भौंरिन कै ना कछु बहू केरि परवाह॥
घर इकलौता यहु जीवै जग औ फिरि बनेरहैं नरनाह १११
बहुतक अशकुन हम देखे हैं कैसे धरा जाय जिय धीर॥
पुत्रघाव सों दशरथ मरिगे यासों और कौन जगपीर ११२
भला न देखैं यहि व्याहे में मानो कही वीर मलखान॥
जो नहिं मानो मलखाने तुम हमरे जाय पानपर पान ११३
बातें सुनिके ये मल्हना की बोले फेरि वीर मलखान॥
घरको आवो टीका फेरैं तौसव हँसिहै देशजहान ११४
बिटिया आहिउ तुम ठाकुर की ठाकुर घरै बियाही माय॥
नहिं क्यहु बनियाकी महतारी जो मन बारबार पछिताय ११५
हल्दी मिरचा हम बेचैं ना ना हम करैं बणिज व्यापार॥
हम तो लरिका हैं ठाकुर के औ दिनराति करैं तलवार ११६
धन्य सराहैं हम कुन्ती का आपन दीन्हे पुत्र पठाय॥
युद्ध मचायो तिन कौरव ते औयशरहा जगतमें छाय ११७
पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२१२
दिखावट
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
११
ब्रह्माका बिवाह। २०७
