पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२१२

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ब्रह्माका विवाह । २०७ सुनिक बातें ये मल्हना की ऊदन बोले माथ नवाय ।। टीका . फेरागा दिल्ली का तौमुँहकौन दिखावाजाय १०६ इतना कहिकै ऊदन ठाकुर तुरतै डारा सांग उखार ।। ऊदन बोले फिरि ताहर सों नाहर दिल्ली के सरदार १०७ हम तो नौकर परिमालिक के दिन यह डारा सांग उखार ।। ऐसे नौकर जिनके घरमाँ तिनसे कौन करै तलवार १०८. सुनिकै बातें ये ऊदन की ताहर मनै गयो शर्माय ।। बीरा दीन्ह्यो ताहर ठाकुर ब्रह्मा बीरागये चबाय १०६ छींक तड़ाको भै सम्मुखमाँ मल्हना रोय उठी घबड़ाय ॥ व्याह न करिहों में ब्रह्मा का गानो कही बनाफरराय ११० हमैं चाह है नहिं मोरिन कै ना कछु बहू केरि परवाह ।। घर इकलौता यहु जीवै जग. औ फिरि बनेरह नरनाह १११ बहुतक अशकुन हम देखे हैं कैसे धरा जाय जिय धीर।। पुत्रघाव सों दशरथ भरिगे यासों और कौन जगपीर ११२ भला न देखें यहि व्याहे में मानो कही वीर मलखान ।। जो नहिं मानो मलखाने तुम हमरे जाय पानपर पान ११३ बातें सुनिके ये मल्हना की बोले फेरि वीर मलखान ।। घरको आवो टीका फेरै तौसव हँसिहै देशजहान ११४ विटिया आहिउ तुम ठाकुर की ठाकुर घरै वियाही माय ।। नहिं क्यहु बनियाकी महतारी जो मन वारवार पचिताय ११५ हल्दी मिरचा हम बेचें ना ना हम करें वणिज व्यापार ।। हम तो लरिका हैं ठाकुर के औ दिनराति करें तलवार ११६ धन्य सराहैं हम कुन्ती का आपन दीन्हे पुत्र पठाय ।। पुद्ध मचायो तिन कौरव ते औयशरहा जगतमें छाय ११७.