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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२२४

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ब्रह्माका बिवाह। २१९

जहर घुरावो तुम शरबत में औ लश्करमें देउ पठाय ९३
बिना बयारी जूना टूटै ओ बिन औषधि बहै बलाय॥
यह तयारी अब करिडारो तो सबकाम सिद्ध ह्वैजाय ९४
साम दाम औ दण्ड भेद सों क्षत्री करैं आपनो काम॥
छल बल क्षत्री का धर्मै है तुमको कौन करै बदनाम ९५
बातैं सुनिकै ये माहिल की भा मन बड़ा खुशी नरनाह॥
स्यावसि स्यावसि उरई वाले हमका नीकि दीन सल्लाह ९६
बिदा मांगिकै पृथीराज सों तम्बुन फेरि पहूंचा आय॥
हाल बतायो परिमालिक को चेउँ करी पिथौराराय ९७
जैसे पियासा पानी पावै सूखे धान परै जस नीर॥
बातैं सुनिकै ये माहिल की तैसे आय गयो मनधीर ९८
घड़ा मँगायो ह्याँ पिरथी ने तामें जहर दीन डरवाय॥
चारो नेगिन को बुलवायो सूरज पूत लीन बुलवाय ९९
कह्यो हकीकति सब सूरज सों पिरथी बार बार समुझाय॥
तुरत कहारन को बुलवायो सूरज घड़ा लीन उठवाय १००
माथनायकै फिरि पिरथी को मनमें श्रीगणेश पद ध्याय॥
सूरज चलिभा फिरि दिल्ली सों लश्कर तुरत पहूंचा आय १०१
जहँना तम्बू परिमालिक का वहिंगी तहाँ दीन धरवाय॥
माथ नायकै परिमालिक को आपो बैठिगयो तहँ जाय १०२
मलखे बैठे हैं दहिने पर बायें बैठे उदयसिंहराय॥
बैठ बराबर आल्हा ठाकुर शोभाकही बूत ना जाय १०३
सूरज बोले तहँ राजा सों शरबत आप देउ बँटवाय॥
करो तयारी फिरि द्वारे की साइतिआयगईनगच्याय १०४
देबा बोला महराजा सों मानो कही चँदेलो राय॥