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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२२६

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ब्रह्माका बिवाह। २२१

सगो भानजो ब्रह्मा हमरो तासों कौनि हमारी रारि ११७
सुनिकै बातैं ये माहिल की बोले उदयसिंह त्यहिवार॥
अब तुम जावो फिरि दिल्लीको मामा उरई के सरदार ११८
शंका तुमपर नहिं काहूकी मामा मानो कही हमारि॥
रक्षक ज्यहिकी जगदम्बा है त्यहिकोसकैकौनजगमारि ११९
सुनिकै बातैं ये ऊदन की माहिल घोड़ी लीन मँगाय॥
चढ़िकै घोड़ी माहिल ठाकुर फिरि दरबार पहूंचे जाय १२०
बड़ी खातिरी राजा कीन्ह्यो माहिल बैठिगयो शिरनाय॥
माहिल बोले फिरि राजा ते मानो कही पिथौराराय १२१
खंभ गड़ावो दरबाजे पर तिनपर कलश देउ धरवाय॥
जौंरा मौंरा दोनों हाथी तिनके आगे देउ छुड़ाय १२२
प्यायकै दारू तिन हाथिन को तुरतै मस्त देउ करवाय॥
द्वारे आवैं जब परिमालिक तयहबोल्योवचनसुनाय १२३
हथी पछारो म्बरे द्वार में तुरतै भाँवरि देयँ डराय॥
कुल की हमरे यह रीती है मानो कही चँदेलेराय १२४
अबती बचिहैं नहिं द्वारे पर मानो कही पिथौराराय॥
इतना कहिकै माहिल चलिभे तम्बुन फेरि पहूंचे आय १२५
भई तयारी ह्याॅ दिल्ली में द्वारे खम्भ दीन गड़वाय॥
जो कुछ माहिल बतलावाथा सो सब सामादीन कराय १२६
माड़ो छावा गा जल्दी सों जल्दी चौक भई तय्यार॥
अई सुहागिल बहु दिल्ली की गावनलगीं मंगलाचार १२७
देखिकै सूरति ह्याँ माहिल की मलखे कहे वचन यहिबार॥
खबरि बतावो सब दिल्ली की मामा उरई के सरदार १२८
सुनिकै बातैं ये मलखे की माहिल बोले बचन बनाय॥