पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२२७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२६ आल्ह खण्ड । २२२ करो तयारी अव द्वारे की मानो कही बनाफरराय १२६ मलखे वोले परिमालिक ते दूनो हाथ जोरि शिरनाय ।। हुकुम जो पार्वं महराजा को . ह्यॉते कूच देय करवाय १३० बाते सुनिक मलखाने की राजा हुकुम दीन फरमाये ॥ वाजे डंका अहतंका के हाहाकारी शब्द सुनाय १३१ हथी चढ़ेया हाथिन चदिगे वाँके घोड़नपर असवार । जितनी फौजें परिमालिक की सवियाँ वेगि-भई तय्यार १३२ मनियादेवन को सुमिरन कर गजपर पेठि रजापरिमाल । म.रु मारुके मौहरि बाजी बाजी हावहाव करनाल १३३ गर्द उड़ानी तब पिरथी माँ लोपे अन्धकारसों भान ॥ मारू तुरही बाजन लागी घूमनलागेलालनिशान १३१ आगे पलकी भै ब्रह्माकै पाचे चले सिपाही ज्वान ॥ घोड़ी कबुतरी के ऊपरमाँ दहिने चला वीरमलखान १३५ वयें दुला को चढ़वैया नाहर लिये नाँगि तलवार ॥ पाग बैंजनी शिरपर सोहै तापर कलंगी करे बहार १३६ गर्द न समझे क्यहु दुशमनको क्षत्री उदयसिंह सरदार ।। शोमा वरणे को पाल्हा की साँचो धर्मरूप श्रावतार १३७ मा खलभला औ हल्ला अति- दिल्ली पास गये नगच्याय । चन्दन बेटा को बोलवायो यहु महराज पिथोराराय १३० भई तयारी अगवानी की दिल्ली सजन लागि सरदार ।। स्थ औ हाधिन में बहु वैठे छैला घोड़न भे असवार १३६ बड़ी सजाई में उरनकै छैला चलिमे बॉधि कतार ॥ गाला बन्नकी फरसा बाँधे कोऊलिये दाल तलवार १४० दगी मलानी दु तन ते धुवना छायगयो असमान ॥ +