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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२२८

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ब्रह्माका बिवाह। २२३

आतशबाजी की शोभा अति भाला तारा के अनुमान १४१
कउँधालपकनि खड्गचमक्कनि हुक्कनि गुड़गुड़दीन मचाय॥
पैग पैग पर दूनों चलि चलि रुकिकिपैगपैगपर जायँ १४२
को गति बरणै महराजन कै मानो देव भूमिगे आय॥
दो बिचचानी द्वउ दिशि घूमैं रूकिरूकिपैगपैगपर जाय १४३
उठे सुगन्धैं तहँ अतरन की बेला और चमेला हार॥
का गति बरणों मैं निवारि की क्षत्री किये फूल श्रृंगार १४४
नीली पीली जंगाली औ लाली पगड़िनकेरि कतार॥
मुँदरी छल्ला मोहनमाला क्यहुगरपरामोतिनकाहार १४५
देखैं तमाशा जे नारी नर तिनका लागै नीकि बहार॥
शाल दुशाले नीले पीले चमके इन्द्रधनुष अनुहार १४६
बाल सूर्य्यसम मूंगा चमकैं दमकैं तहाँ जवाहिरलाल॥
जब अगवानी पूरण ह्वैगै गावन लगीं द्वारपरबाल १४७
संगम ह्वैगा दुहुँ तरफा ते दूनों तरफ भये सतकार॥
दूनों मिलिकै संगम ह्वैकै पहुँचे पृथीराज के द्वार १४८
जौंरा भौंरा हाथी ठाढ़े ताहर बोले बचन पुकार॥
जौन शूरमा हों मोहबे के द्वारे हाथी देयँ पछार १४९
सुनिकै बातैं ये ताहर की चलिभा उदयसिंह झन्नाय॥
जावत दीख्यो उदयसिंह को मलख्यो चला तुरत ठन्नाय १५०
को गति बरणै दोउ वीरन की मानो चले कृष्ण बलराम॥
ऊदन सुमिर्यो श्रीशारद को मलखेलीनशिवाशिवनाम १५१
ऊदन चलिमा जौरा दिशिको मलखे भौंरा की दिशिजाय॥
पूॅछ पकारिकै तिन हाथिन कै जैसे सिंह घसीटै गाय १५२
तैसे ऊदन मलखे ठाकुर दोऊ नाग घसीटैं धाय॥