पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२३०

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. ब्रह्माका विवाह । २२५ २६ ऐमी बातें जो फिरि बोले तो मुहँ धाँसिदेउँ तलवार १६५ बातें मुनिकै कमलापति की भैने जौनु चँदेले क्यार । ऍड़ लगायो हरनागर के हाथी उपर गयो सरदार १६६ भाला मारयो कमलापति के तोंदी परा घाव सो जाय । द्वार जूझिगा कमलापति जव रहिमतसहिमतचलेरिसाय१६७ ऊदन बोले तब देवा ते ठाकुर मैनपुरी चौहान ।। देखो आवत दुइ लड़ने को उतसों समर भूमिमें ज्वान १६८ मन्नागूजर को सँग लैकै मारो समर भूमि मैदान ।। तुम्हरी दूनन की बरणी हैं मानो कही बीर चौहान १६६ सुनिकै वाते वघऊदन की दोऊ वढ़े अगाड़ी ज्वान ।। रहिमत सहिमतको ललकारयो होवो-खड़े समर मैदान १७० सुनिकै बातें इन दोउन की उनहुन बैंचि लीन तलवार ।। ॥ उसरिन उसरिन दोऊ मारे दोऊ लय ढालपर वार १७१ बड़ी लड़ाई में दारेपर औ वहि चली रक्तकी पार॥ रहिमत सहिमत जिन्सीवाले घायल भये दऊ सरदार१७२ सुमिरि भवानी मइहरवाली मनियादेव मोहेवे क्यार ।। घोड़ बढ़ायो बघऊदन ने दोऊ कलशा लिये उतार १७३ देखि वीरता बघऊदन की मा मन खुशी पिथौराराय ।। इंसिकै बोल्यो बघऊदन ते मानो कही बनाफरराय १७४ उलटी रीती हमरे घरकी ऐसो सदा क्यार व्यवहार ॥ हो समध्वारो जब दारेपर तवफिरिभौरिनकात्यवहार१७५ अब तुम लावो परिमालिक को यहहू नेग यहाँ लैजाय ॥ होय तयारी फिरि भौरिनकै साँचे हाल दीन बतलाय१७६ इतना सुनिकै ऊदन चलिभो पहुँचा जहाँ रजापरिमाल ।