ऐसी बातैं जो फिरि बोलै तौ मुहँ धाँसिदेउँ तलवार १६५
बातैं सुनिकै कमलापति की भैने जौनु चँदेले क्यार॥
एँड़ लगायो हरनागर के हाथी उपर गयो सरदार १६६
भाला मार्यो कमलापति के तोंदी परा घाव सो जाय॥
द्वार जूझिगा कमलापति जब रहिमतसहिमतचलेरिसाय१६७
ऊदन बोले तब देबा ते ठाकुर भैनपुरी चौहान॥
देखो आवत दुइ लड़ने को उतसों समर भूमिमें ज्वान १६८
मन्नागूजर को सँग लैकै मारो समर भूमि मैदान॥
तुम्हरी दूनन की बरणी हैं मानो कही बीर चौहान १६९
सुनिकै बातैं बघऊदन की दोऊ बढ़े अगाड़ी ज्वान॥
रहिमत सहिमतको ललकार्यो होवो खड़े समर मैदान १७०
सुनिकै बातैं इन दोउन की उनहुन खैंचि लीन तलवार॥
उसरिन उसरिन दोऊ मारैं दोऊ लयँ ढालपर वार १७१
बड़ी लड़ाई भै द्वारेपर औ बहि चली रक्तकी धार॥
रहिमत सहिमत जिन्सीवाले घायल भये द्वऊ सरदार १७२
सुमिरि भवानी मइहरवाली मनियादेव मोहेबे क्यार॥
घोड़ बढ़ायो बघऊदन ने दोऊ कलशा लिये उतार १७३
देखि वीरता बघऊदन की भा मन खुशी पिथौराराय॥
हँसिकै बोल्यो बघऊदन ते मानो कही बनाफरराय १७४
उलटी रीती हमरे घरकी ऐसो सदा क्यार व्यवहार॥
हो समध्वारो जब द्वारेपर तवफिरिभौंरिनकात्यवहार१७५
अब तुम लावो परिमालिक को यहहू नेग यहाँ ह्वैजाय॥
होय तयारी फिरि भौंरिनकै साँचे हाल दीन बतलाय १७६
इतना सुनिकै ऊदन चलिभो पहुँचा जहाँ रजापरिमाल॥
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