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ब्रह्माका बिवाह। २२७
बाजे डंका अहतंका के तम्बुन फेरि पहूंचे आय १८९
पिरथी पहुंचे राजमहल को सबियाँ झगड़ा गयो पटाय॥
खेत छूटि गा दिननायक सों झंडागड़ा निशाको आय १९०
करों बन्दना पितु अपने की जिन वल भयोतरँगकोअन्त॥
राम रमा मिलि दर्शन देवैं इच्छा यही भवानीकन्त १९१
इति श्रीलखनऊनिवासि (सी,आई,ई) मुंशी नवलकिशोरात्मजबाबूप्रयागना-
रायणजीकीआज्ञानुसारउन्नामप्रदेशान्तर्गतपँड़रीकलांनिवासिमिश्र
वंशोद्भवबुधकृपाशशरसूनुपण्डितललिताप्रसादकृतब्रह्माद्वारचार
वर्णनोनामद्वितीयस्तरंगः ॥२॥