पहिली भाँवरि के परतै खन ताहर हनी तुरत तलवार ४४
दहिने ठाढ़ो मलखे ठाकुर सो लैलीन ढाल पर वार॥
आधे आँगन भौंरी होवैं आधे चलनलागि तलवार ४५
ब्रह्मा ठाकुर की रक्षा में आल्हा ठाकुर भये तयार॥
मलखे सुलखे जगनिक देबा आँगन करैं भड़ाभड़ मार ४६
तेगा चटकै बर्दवान का ऊना चलै बिलाइति क्यार॥
छूरी छूरा कोउ कोउ मारैं कोताखानी चलैं कटार ४७
फिरि फिरि मारैं औ ललकारैं नाहर दिल्ली के सरदार॥
आँगन थिरकै उदन बाँकुड़ा लीन्हे हाथ नाँगि तलवार ४८
मूड़न केरे मुड़चौरा मे औ रुंडन के लगे पहार॥
बड़ी लड़ाई भै आँगन में औ बहिचली रक्तकी धार ४९
अपन परावा कछु सूझै ना आमाझोर चले तलवार॥
बड़े लड़ैया मलखे सुलखे नामी सिरसा के सरदार ५०
कोगति बरणै तहँ ताहर कै दूनों हाथ करै तलवार॥
फिरि फिरि मारै औ ललकारै नाहर उदयसिंह सरदार ५१
कोगति बरणै तहॅ देबाकै क्षत्री भैनपुरी चौहान॥
मन्नागूजर जगना ठाकुर इनहुन खूबकीन मैदान ५२
मोहन ठाकर बौरी वाला रणमाँ बड़ा लड़ैयाज्वान॥
जोगा भोगा दोनों भाई मारिकै सूबकीन खरिहान ५३
विकट लड़ाई भै ऑगन में साँगन खूब भई तहँ मार॥
सातो लड़िका पृथीराज के बाँध्यो सिरसाके सरदार ५४
सातो मॅवरी ब्रह्मानँदकी आल्हा तुरत लीनकरवाय॥
देखि तमाशा बघऊदन का पिरथी गये सनाकाखाय ५५
चौंड़ा बोला त्यहि समया में मानो कही पिथौराराय॥
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आल्हखण्ड। २३२
