पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२३५

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प आल्हखण्ड । २३२ पहिली भावरि के परतै खन ताहर हनी तुरत तलवार ४५ दहिने ठाडो मलखे ठाकुर सो लैलीन ढाल पर वार । आधे आँगन भौरी होवें ग्राधे चलनलागि तलवार ४५ ब्रह्मा ठाकुर की रक्षा में आल्हा गकुर भये तयार ।। मलखे सुलखे जगनिक देवा ऑगन करें भड़ाभड़ मार ४६ तेगा चटके बर्दवान का ऊना चले मिलाइति क्यार ।। छूरी छूरा कोउ कोउ मारें कोताखानी चल कटार ४७ फिरि फिरि मार औ ललकारें नाहर दिल्ली के सरदार॥ आँगन थिरकै उदन वाँकुड़ा लीन्हे हाथ नॉगि तलवार ४८ मूड़न केरे मुड़चौरा मे औरुंडन के लगे पहार॥ बड़ी लड़ाई में आँगन में नौ वहिचली रक्तकी धार ४६ अपन परावा कछु सूझै ना आमाझोर चले तलवार॥ बड़े लडैया मलखे सुलखे नामी सिरसा के सरदार ५० कोगति वरणै तहँ ताहर के दूनों हाथ करै तलवार॥ फिरि फिरि मारे औ ललकार नाहर उदयसिंह सरदार ५१ कोगति वरणे तह देवाकै क्षत्री मैनपुरी चौहान ॥ मन्नागूजर जगना ठाकुर · इनहुन खूबकीन मैदान ५२ मोहन ठाकर बोरी वाला रणमाँ बड़ा लड़ेयाज्वान ।। जोगा भोगा दोनों भाई मारिके सूबकीन खरिहान ५३ विकट लड़ाई भै ऑगन में साँगन खूब भई तहँ मार। सातो लड़िका पृथीराज के वाँध्यो सिरसाके सरदार ५४ सातो मॅवरी ब्रह्मानंदकी आल्हा तुरत लीनकरवाय ॥ देखि तमाशा बघऊदन का पिरथी गये सनाकाखाय ५५ चौड़ा बोला त्यहि समया में मानो कही पिथौराराय।।