पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२३६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

बझाका विवाह । २३३ अबही जावें हम मड़येतर सबके बन्धन देय छुड़ाय ५६ इतना कहिकै चौड़ा चलिभा मड़ये तरे पहूँचा आय ।। चौंड़ा वोला फिरि आल्हाते मानो कही बनाफरराय ५७ इकलो लड़िका भीतर पठयो सो लहकौरि खानको जाय ।। मुशकै छोरो सब लरिकन की यह कहिदीन पिथौराराय ५८ दया भायगै मलखाने के मुशकै तुरत दीन छुड़वाय ।। अब तुम जावो जनवासे को बोला फेरि चौंड़ियाराय ५६ नाउनि आई फिरि भीतर सों औ आल्हासों कह्यो सुनाय ।। इकलो दूलह अब पठ्यावो रानी भीतर रहीं बुलाय ६० ऊदन बोले तब नाइनिते साँची मानो कही हमार ।। संग न छाँडै सहिवाला कहुँ यह है मोहबे का व्यवहार ६१ इतना सुनिक नाइनि बोली जल्दी चलो करो नहिं बार ॥ आगे नाइनि फिरि दुलह भा पाछे बेंदुल का असवार ६२ और बीर सब तम्बुन आये ये दोउ महल पहूँचे जाय ॥ चौड़ा बोला पृथीराज सो आयसु मोहिं देउ फरमाय ६३ मैं अब मारों बघऊदन को औसर नीक पहूँचा आय ॥ सुनिकै बातें ये चौड़ा की आयसु दीन पिथौराराय ६४ बिछिया अंगुठा चौड़ा पहिरयो लीन्यो रूप जनाना धार । टुम्मुक तुम्मुक चौंड़ा चलिभा विषधर चापे बगलकटार ६५ जायकैपहुंच्योत्यहि महलनमें ऊदन जहाँ करे ज्यउँनार ।। हुचिता दीख्यो जब ऊदन को चौड़ा मारी तुरत कटार ६६ खाय मूर्छा ऊदन गिरिगे नारिन कीन तहाँ चिग्घार ।। सनाका ब्रह्मागकुर मनमा लागे करन विचार ६७ आजु वीरता गै मोहवे ते जो मरिगयो लहुरखा भाय ।। भये