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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२३८

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ब्रह्माका बिवाह। २३५

नालति तुम्हरे मन चब्बन को तुमका बार बार धिक्कार ८०
त्यही समैया ऊदन चलिभा सबसों बिदा मांगि त्यहिबार॥
चढ़ा पालकी ब्रह्मा ठाकुर ऊदन बेंदुल भा असवार ८१
आयकै पहुंचे द्वउ लश्कर में जहँ दरबार चँदेले क्यार॥
हाथ पकरिकै ब्रह्मा ऊदन तम्बुन गये दोऊ सरदार ८२
चरणन परिकै परिमालिक के बैठे द्वऊ बीर बलवान॥
पूंछन लागे बघऊदन ते तुरतै तहाँ बीर मलखान ८३
कहौ हकीकति सब महलनकी कैसी भई रीति ब्यवहार॥
सुनिकै बातैं मलखाने की कहिगा यथातथ्य सरदार ८४
सुनिकै बातैं बघऊदन की आल्हा ठाकुर लीन बुलाय॥
कमर बिलोकैं बघऊदन की कैसा परा कटारी घाय ८५
चिह्न न पायो कहूं घाव को आल्हा बोल्यो बचनसुनाय॥
झूंठ न बोलत तुम ऊदन रहौ कैसी किह्यो दिल्लगी भाय ८६
ब्रह्मा बोले तब आल्हा ते दोऊ हाथ जोरि शिरनाय॥
साँची दादा ऊदन बोल्यो झूंट न कह्यो लहुरवाभाय ८७
लीन्हे बूटी रानी आई सो ऊदन के दिह्यो लगाय॥
घाव पूरिगा बघऊदन का औ उठि बैठ लहुरवा भाय ८८
सुनिकै बातैं ब्रह्मानँद की गे परिमाल सनाकाखाय॥
कूच कराओ अब लश्कर को बोला फेरि चँदेलाराय ८९
बातैं सुनिकै महराजा की मलखे रुपना लीन बुलाय॥
औ समुझायो यह रुपना को यह तुम कहौ पिथौरैनाय ९०
कह्यो सँदेशा परिमालिक है बेटी बिदा देयँ करवाय॥
इतना सुनिकै रुपना चलिभा औफिरिअटाद्वारपरजाय ९१
द्वारे ठाढ़े पिरथी राजा तिनसों बोला शीश नवाय॥