कुशल प्रश्नसों सब जन आये रूपनबोला शीश नवाय १०४
बड़ी खुशाली भै मल्हना के तुरतै सखियाँ लीन बुलाय॥
चौमुख दियना रानी बारे पहुंची तुरतद्वारपर आय १०५
बारह रानी परिमालिक की गावन लगीं मंगलाचार॥
पलकी आई ब्रह्मानँद की परछन होनलगी तबद्वार १०६
भई आरती ब्रह्मानँद की सवियाँ याचक भये निहाल॥
जितनी रैयति मोहबे वाली आये ज्यान बृद्ध औ बाल १०७
भयो बुलौवा फिरि पंडित का धावन चला तड़ाका धाय॥
लैकै पत्रा पंडित आवा साइति ठीकदीन बतलाय १०८
महलन पहुंचे ब्रह्माठाकुर बिप्रन मोदभयो अधिकाय॥
दान दक्षिणा मल्हना दीन्हे सीधा घरै दीन पहुँचाय १०९
दगीं सलामी दरवाजे पर धुँवना रहा सरगमें छाय॥
बिदा मांगिकै नेवतहरी सब निजनिजदेशपहूंचेजाय ११०
दशहरि पुरवा आल्हा पहुंचे सिरसा गये वीर मलखान॥
कथा पूरि भै अब ब्याहे कै मानो सत्यवचन परमान १११
खेत छुटिगा दिननायक सों झंडा गड़ा निशाको आय॥
तारागण सब चमकनलागे सन्तन धुनी दीन परचाय ११२
परे आलसीखटिया तकि तकि घों घों कण्ठ रहे घर्राय॥
भल बनिआई तहँ योगिन कै निर्भयरहे रामयशगाय ११३
निशा पियारी सब योगिनको चोरन अर्द्धमास की भाय॥
कछु नहिंभावै मनबिरहिन के उनको कालरूपदिखराय११४
सदा सहायक पितु अपने को दोऊ हाथ जोरि शिरनाय॥
आशिर्वाद देउँ मुंशीसुत जीवो प्रागनरायण भाय ११५
रहै समुन्दर में जबलों जल जबलों रह चन्द औ सूर॥
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ब्रह्माका बिवाह। २३७
