पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२४०

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ब्रह्माका विवाह । २३७ कुशल प्रश्नसों सब.जन आये रूपनबोला शीश नवाय १०४ बड़ी खुशाली भै मल्हना के तुरतै सखियाँ लीन बुलाय॥ चौमुख दियना रानी बारे पहुंची तुरतदारपर आय १०५ बारह रानी परिमालिक की गावन लगी मंगलाचार ।। पलकी आई ब्रह्मानंद की परछन होनलगी तबदार १०६ भई आरती ब्रह्मानंद की सवियाँ याचक भये निहाल ।। जितनी यति मोहवे वाली आये ज्यान वृद्ध औवाल १०७ भयो बुलौवा फिरि पंडित का धावन चला तड़ाका धाय।। लैकै पत्रा पंडित आवा साइति ठीकदीन बतलाय १०८ महलन पहुंचे ब्रह्माठाकुर विप्रन मोदभयो अधिकाय ।। दान दक्षिणा मल्हना दीन्हे सीधा घरै दीन पहुँचाय १०६ दगी सलामी दखाजे पर धुवना रहा सरगमें छाय।। ॥ विदा मांगिकै नेवतहरी सत्र निजनिजदेशपहूंचेजाय ११० दशहरिपुरवा आल्हा पहुंचे सिरसा गये वीर मलखान ।। कथा पूरि भै अब ब्याहे कै मानो सत्यवचन परमान १११ खेत छुटिगा दिननायक सों झंडा गड़ा निशाको आय ।। तारागण सब चमकनलागे सन्तन धुनी दीन परचाय ११२ परे आलसीखटिया तकि तकि घों घों कण्ठ रहे धर्राय ।। भल वनिआई तहँ योगिन के निर्भयरहे रामयशगाय ११३ निशा पियारी सन योगिनको चोरन अर्द्धमास की भाय ।। कछु नहिंभावै मनविरहिन के उनको कालरूपदिखराय११४ सदा सहायक पितु अपने को दोऊ हाथ जोरि शिरनाय ।। आशिर्वाद देउँ मुंशीसुत जीवो प्रागनरायण भाय ११५ रहे समुन्दर में जबलों जल जबलों रह चन्द औ सूर ।।