रोंवाँ ठाढ़े भे देही के नैनन दीन्ह्यो झरी लगाय ९
माहिल बोले परिमालिक ते काहे शोच कीन अधिकाय॥
लड़िका बाउर ऊदन नाहीं जो तुम डरो चँदेलेराय १०
इनते बढ़िकै को मोहबेमाँ घोड़ा जौन खरीदन जाय॥
है गर्दाना इनको बाना कालौ लड़ै न सम्मुख आय ११
कहिकै पलटत नहिं ऊदन हैं जानो भली भांति महराज॥
भय नहिं लावो अपने मनमाँ करि हैं सिद्धकाज रघुराज १२
बातैं सुनिकै ये माहिलकी बोले फेरि रजापरिमाल॥
तुम भल जानत हौ ऊदन को कलहा देशराजको लाल १३
रारि मचाई यहु मारग में आई फेरि व्याधि कछु भाय॥
बात चलाई तुम ऐसी है जासों शोचभयो अधिकाय १४
सुनिकै बातैं परिमालिक की बोला उदयसिंह सरदार॥
शपथ शारदा शिवशङ्कर की हम काबुल को खड़े तयार १५
भली बताई माहिल मामा राजाकरो बचन बिश्वास॥
यक अवलम्बा जगदम्बा का सोई पूरि करैं सब आश १६
क्षत्री ह्वैके समरसकावै त्यहि को बार बार धिक्कार॥
बाँझै होवै सो नारी जग नाहक रखै पेटमें भार १७
बेद यज्ञ औ दान युद्ध ये क्षत्री केर रूप श्रृंगार॥
ये नहिं होवैं ज्यहि क्षत्री के त्यहि को बार बार धिक्कार १८
एक ऋचा गायत्री जानै सोऊ बेद पढ़ैया ज्वान॥
ब्राह्मण क्षत्री बनिया तीनों यासोंविमुखश्वानअनुमान १९
वा सुनिकै वघऊदन की बोले फेरि रजापरिमाल॥
कहा न मनिहौ तुम बच्चा अब कलहा देशराज के लाल २०
देवा ठाकुर को सँग लैकै कावुल घोड़ खरीदो जाय॥
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