पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२४६

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उदयसिंहका विवाह । २४३ कौन शहर है देवा ठाकुर हमको साँच देउ बतलाय ३३ देवा बोला तब ऊदन ते जानो नहीं हमारो भाय ।। इतना कहिके दूनों चलि मे रहिगा पावकोस फिरिआय३४ तह चरवाहन को देखत भो तिनसों को बनाफरराय ।। कौन शहर औ को राजा है हमको साँच देउ बतलाय ३५ सुनिक वाते बघऊदन की बोला अहिरपूत तब भाय ।। नरपति राजा नरवरगढ़ है ओ परदेशी बात बनाय ३६ इतना सुनिकै दूनों चलिमे पुर के पास पहूंचे जाये ।। तहाँ जखेड़ा बहु नारिन को खत्रै बारिकप में आय ३७ को गति वरणे तिन नारिन के पतली कमर तीनिवलखाय ।। दाँत भनारन के बीजासम भीसी हँसत परै दिखलाय ३८ परी वतीसी है पानन कै आननकमलखिलाजसभाय ।। छाती सोहैं नवरंगी सम युण्डी भौर सरिस दिखराय ३६ गजकीशुण्डा सम भुजदण्डा अंघा कदलिथम्म अनुमान । रूप देखिकै तिन नारिन का हा होय अनेकन ज्यान-४० ऐसी बाला सब आला है नाभी यमुन मवरसम भाय ॥ रूप देखिकै तिन नारिन का पहुंचा पास बनाफरराय ४१ मनमाँ सोचा उदयसिंह तब औ यह ठीक लीन ठहराय ।। जौने पुरकी अस नारी हैं रानिनरूप वरणि ना जाय ४२ यह सोचिके घघऊदन फिरि बोला एक नारिके साथ ।। पूरब तेनी पश्चिम आये वावा सूर्य चराचर नाथ ४३ घोड़ पियासा अति हमरो है याको पानी देउ पियाय ।। बातें सुनिकै ये ऊदन की बोली तुरत नारि रिसियाय ४४ करन दिक्षगी हमसो आयो क्षत्री घोड़े के अखबार ।।