कौन शहर है देबा ठाकुर हमको साँच देउ बतलाय ३३
देबा बोला तब ऊदन ते जानो नहीं हमारो भाय॥
इतना कहिकै दूनों चलि भे रहिगा पावकोस फिरिआय ३४
तहँ चरवाहन को देखत भो तिनसों कह्यो बनाफरराय॥
कौन शहर औ को राजा है हमको साँच देउ बतलाय ३५
सुनिकै बातैं बघऊदन की बोला अहिरपूत तब भाय॥
नरपति राजा नरवरगढ़ है ओ परदेशी बात बनाय ३६
इतना सुनिकै दूनों चलिभे पुर के पास पहूंचे जाय॥
तहाँ जखेड़ा बहु नारिन को खैंबैं बारिकप में आय ३७
को गति बरणै तिन नारिन के पतली कमर तीनिबलखाय॥
दाँत अनारन के बीजासम भीसी हँसत परै दिखलाय ३८
परी बतीसी है पानन कै आननकमलखिलाजसभाय॥
छाती सोहैं नवरंगी सम घुण्डी भौंर सरिस दिखरायँ ३९
गजकीशुण्डा सम भुजदण्डा अजंघा कदलिथम्म अनुमान॥
रूप देखिकै तिन नारिन का हा होय अनेकन ज्वान ४०
ऐसी बाला सब आला हैं नाभी यमुन भँवरसम भाय॥
रूप देखिकै तिन नारिन का पहुंचा पास बनाफरराय ४१
मनमाँ सोचा उदयसिंह तब औ यह ठीक लीन ठहराय॥
जौने पुरकी अस नारी हैं रानिनरूप बरणि ना जाय ४२
यह सोचिकै बघऊदन फिरि बोला एक नारिके साथ॥
पूरब तेनी पश्चिम आये बाबा सूर्य चराचर नाथ ४३
घोड़ पियासा अति हमरो है याको पानी देउ पियाय॥
बातैं सुनिकै ये ऊदन की बोली तुरत नारि रिसियाय ४४
करन दिल्लगी हमसो आयो क्षत्री घोड़े के असबार॥
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उदयसिंहका बिवाह। २४३
