पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२५०

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उदयसिंहका विवाह । २४७ माली भाषा जब बगिया ते तबसब हाल कडे समुझाय७६ देवा बोला ह्याँ ऊदन ते अब रंग और परै दिखराय ॥ काहे अटक्यो तुम नरवर में साँचे हाल देव बतलाय ८० बातें सुनिकै ये देवा की बोला उदयसिंह सरदार ।। फुलवा बेटी जो नरपति की तामें लाग्यो चित्त हमार ८१ कीनि प्रतिज्ञा हम अपने मन साँची तुम्हें देय बतलाय ॥ नैनन दीखे विन फुलवा को ना हम धरव अगाडीपायँ ८२ सुनिकै बातें ये ऊदन की देवा बोला बचन बनाय । ऐसी करिही जो बधऊदन तौ सब जैहैं काम नशाय ८३ घोड़ खरीदन को आये तुम नरवर नैन खरीदे आय ।। काह बतही तुम राजा ते सोऊ कहो लहुखाभाय ८४ तुमका सोप्यो महसजा बहि ऊन तुम्बाह गयो बौराय ।। तनिक मिहिरिया के देख का उमफुलदेही लाज गाय ८५ अत्रै न बिगरा कछु बघऊदन ह्याँ ते कूच देव करवाय ।। मुनिके बातें ये देवा की बोला फेरि बनाफरराय ८६ मोहिं भरोसा है शारद को देवा मैनपुरी चौहान ।। घोड़ खरीदन फिरि हम जैहें करि हे कुशलमोरिभगवान८७ पैमन भटको है फुलवा में हटको मानै नहीं हमार ।। खटको भटको पटको झटको सोवो आज यहाँ सरदार ८८ इतना कहते बघऊदन के दोऊ नैन गये अलसाय ।। देवा ऊदन दोऊ सोये चकरन पहरादीन विठाय ८६ सोयके जागे जब बघऊदन प्रातःक्रिया कीन होय ॥ फेरिके पहुँचे मालिनि घरमाँ मालिनि हरवा रही बनाय ६० ऊदन बोले तह मालिनि सों हिरिया मौनी बात वनाय।। 1