माली आवा जब बगिया ते तबसब हाल कहे समुझाय ७९
देबा बोला ह्याँ ऊदन ते अब रंग और परै दिखराय॥
काहे अटक्यो तुम नरवर में साँचे हाल देव बतलाय ८०
बातैं सुनिकै ये देबा की बोला उदयसिंह सरदार॥
फुलवा बेटी जो नरपति की तामें लाग्यो चित्त हमार ८१
कीनि प्रतिज्ञा हम अपने मन साँची तुम्हैं देयँ बतलाय॥
नैनन दीखे बिन फुलवा को ना हम धरब अगाड़ीपायँ ८२
सुनिकै बातैं ये ऊदन की देबा बोला बचन बनाय॥
ऐसी करिहौ जो बधऊदन तौ सब जैहैं काम नशाय ८३
घोड़ खरीदन को आये तुम नरवर नैन खरीदे आय॥
काह बतैहौ तुम राजा ते सोऊ कहो लहुरवाभाय ८४
तुमका सोंप्यो महसजा म्बहि ऊन तुम्बाह गयो बौराय॥
तनिक मिहिरिया के देखै का आमफुलदेहौ लाज गावाँय ८५
अबै न बिगरा कछु बघऊदन ह्याँ ते कूच देव करवाय॥
सुनिकै बातैं ये देबा की बोला फेरि बनाफरराय ८६
मोहिं भरोसा है शारद को देबा मैनपुरी चौहान॥
घोड़ खरीदन फिरि हम जैहैं करि हैं कुशलमोरिभगवान ८७
पै मन भटको है फुलवा में हटको मानै नहीं हमार॥
खटको भटको पटको झटको सोवो आज यहाँ सरदार ८८
इतना कहतै बघऊदन के दोऊ नैन गये अलसाय॥
देबा ऊदन दोऊ सोये चकरन पहरादीन बिठाय ८९
सोयकै जागे जब बघऊदन प्रातःक्रिया कीन हर्षाय॥
फेरिकै पहुँचे मालिनि घरमाँ मालिनि हरवा रही बनाय ९०
ऊदन बोले तह मालिनि सों हिरिया भौजी बात बनाय॥
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उदयसिंहका बिवाह। २४७
