लाव मलाई अब जल्दी सों दौरति चली बजारै जाय ९१
इतना सुनिकै हिरिया बोली साँची सुनो बनाफरराय॥
हार छोंड़िकै जाउँ बजारै तौ तकसीर बड़ी ह्वैजाय ९२
तनकिउ देरी हमका लागी फुलवा जाई बेगि रिसाय॥
बातैं सुनिकै ये हिरिया की बोले फेरि बनाफरराय ९३
हार तुम्हारो हम गूंथत हैं मालिनि जाउ बजरिया धाय॥
पांच अशर्फी ऊदन दीन्ह्यो मालिनिचली तड़ाकाजाय ९४
बेला चमेली औ निवारिको ऊदन हार कीन तय्यार॥
मालिनि आई जब बजारते देखा चार लरिनको हार ९५
हिरिया बोली तब ऊदन ते देवर मानो कही हमार॥
हार दुलरिया रोज बनावों चौलर आज भयो तय्यार ९६
कर्री गांठी तुम्हरी की फूलन खूब सटा है यार॥
हाल जो पूँछी फुलवहर में उत्तर काह देब सरदार ९७
बातैं सुनिकै ये मालिन की बोला उदयसिंह त्यहिबार॥
बिटिया आई म्बरि बहिनी कै ताने हार कीन तय्यार ९८
इतनासुनिकै हिरियामालिनि तुरतै डिलिया लीन उठाय॥
जहँना बेटी रह नरपति कै मालिनि तहाँ पहूंची जाय ९९
बैठि पलँगरा फुलवा बेटी मालिनि हार दीन पहिराय॥
चार लरिन को हरवा दीख्यो फुलवा बोलीवचनरिसाय १००
रोज दुलरिया ले आवति थी कौने गुँधा चौलंराहार॥
साँच बतावै री मालिनि अब नाहीं पेट फरैहौं त्वार १०१
इतना सुनिकै मालिनि बोली दोऊ हाथ जोरि शिरनाय॥
बिटिया आई म्बरि बहिनी कै ताने हार बनायो आय १०२
वह तो ब्याही है मोहबे माँ जहँपर बसें रजापरिमाल॥
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आल्हखण्ड। २४८
