पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२५२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

उदयसिंहका विवाह । २४६ पारस पत्थर तिनके घरमाँ उनकी रय्यति सबै निहाल १०३ बातें सुनिकै ये मालिनि की फुलवा हुकुमदीन फरमाय ।। हार वनायोज्यहि मालिनि है मोको बेगि दिखावै आय १०४ इतना मुनिके मालिनि चलिभै मनमाँ बार बार पचिताय ॥ ज्यों त्यों आई घर अपने को तहपर मिले बनाफरराय १०५ - हाल बनायो सब फुलवाको मालिनि बार बार समुझाय ।। मारे - डरके पिंडरी का जर्दी आनन पर दिखाय १०६ ऊदन बोले तब मालिनि ते काहे शोच करो अधिकाय ॥ नई पुरानी जेवर लैके हमको देउआय पहिराय १०७ देखन जैसे हम फुलवा को मालिनि मानो कही हमार।। शंका लायो कल जियरे ना तुम्हरो जाय न बांकोबार १०८ कौन दुमरिहा जग हमरो है जो तुम्हरे तन कर निगाह ॥ निश्चय जानो अपने मनमाँ हमफलवाते करख विवाह १०६ बाते सुनिकै उदयसिंह की मालिनि शंका दीन भुलाय ॥ तुरते गहना को-लै आई पहिरनलागलहुवाभाय ११० . मिस्सी रगरी सब दाँतन में तापर लीन्ह्यो पान चवाय ॥ काजल आँज्यो दोउ नैनन में शोभा कही बूत ना जाय १११ बेंदी बँदनी टीका तीनों मस्तक ऊपर धरा. सँवार । करनफूल कानन में पहिरा तामें गुज्झी करें बहार ११२ मोहनमाला मोतिनमाला पहिरे और फुलनके हार ॥ बाजू जोसन टाडै तीनों दोऊभुजा पहिरि सरदार ११३ नीले रंगकी चुरियाँ पहिरी गोरे हाथनका शृङ्गार ।। अगे अगेला पिछे पछेला तिनविचककनाकरेंवहार ११४ बल्ले पहिरे सब अंगुरिन में अँगुठा लीन आरसी धार ।।