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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२५३

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आल्हखण्ड। २५०

पहिरि करधनी ली कम्मर में पायँन पायजेब झनकार ११५
कड़ाके ऊपर छड़ा बिराजै नीचे मेंहदी करै बहार॥
बिछवापहिरे सब अँगुरिन में अनवटअँगुठनकाश्रृंगार ११६
बेष जनाना ऊदन धरिकै तुरतै पलकी लीन मँगाय॥
बैठ पालकी में नरनाहर मनमें सुमिरिशारदामाय ११७
हिरिया मालिनि को सॅगलैकै फुलवा महल गयेनगच्याय॥
उतरि पालकी सों नरनाहर शारदचरणकमलफिरिध्याय११८
आगे हिरिया पाछे ऊदन फुलवा पास पहूँचे जाय॥
फुलवा दीख्यो जब ऊदन को मनमाँ बड़ी खुशी ह्वैजाय ११९
रूप देखिकै त्यहि मालिनिको मनमाँ गई सनाकाखाय॥
कै पैताना खाली दीन्ह्यो आदरकीनफेरिअधिकाय १२०
बैठि उसीसे जब ऊदनगे फुलवा बोली बचन रिसाय॥
कैसी मालिनि यह लाई है मालिनिहालदेयबतलायं १२१
मालिनि बोली तब फुलवाते बेटी साँची देयँ बताय॥
बेटी प्यारी परिमालिक की नौकरितासुपासकीआय १२२
राजनीति का यह जानति है राखति स्वऊ सखी का भाय॥
बैठि उसीसे यह जावै जो तौ वह क्षमा करै हर्षाय १२३
सुनिकै बातैं ये मालिनि की फुलवा क्षमा कीन सुखपाय॥
हँसिकै बोली फिरि मालिनिते साँची साँची देउ बताय १२४
कौन बहादुर परिमालिक घर कारो राजपुत्र यहिकाल॥
बातैं सुनिकै ये फुलवाकी बोला देशराजका लाल १२५
आल्हा ब्याहे हैं नैनागढ़ पथरीगढ़ै वीर मलखान॥
पिरथी घरमाॅ ब्रह्मा ब्याहे ठाकुर दिल्लीके चौहान १२६
कारो इकलो बघऊदनहै ज्यहिकै बेंड़ि बहै तलवार॥