पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२५७

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भाल्हखरड । २५४ बेटी फुलवा के महलन में जागा देशराजका लाल ? देवा बोला ह्याँ हिरियाते मालिनि मानो कही हमार ।। देर लगावो अब घरमाँ ना लावो 'उदयसिंह सरदार २ लेक पलकी मालिनि चलि मे फुलवा पाम पहूँची जाय ॥ फुलवा बोली तब हिरियाते अब यहि जावो तुरत लिवाय ३ इतना सुनिकै ऊदन चलिमे पहुँचे तुरत द्वार में आय।। बैठ पालकी में वपऊदन मनमें मुमिरि शारदामाय ४ आयकै पहुँचे जब मालिनिघर देश वोला वचन सुनाय ॥ साथ जनाना का करिवे ना जैवे जहाँ चंदेलाराय ५ बन्यो जनाना तुम नरवर में कहीं हाल जाय दरवार ।। बाना छोड़े रजपूती का ऊदन जीवेका धिक्कार ६ इतना सुनते कायल द्वैगा नाहर उदयसिंह सरदार ॥ पेट मारने के कारण सों ऊदन लीन्ही हाथ कटार ७ हाथ पकरिकै देवाठाकुर बोला सुनो बनाफरराय ।। चरचा करिये ना मोहवेमाँ 'ऊदन साँव देवें बतलाय : भई लालसा हमरे मनमाँ फुलवा देखनको अधिकाय ॥ करु अभिलाषा पूरण हमरी आल्हाकेर लहुरखा भाय ६ ऊदन बोले तब देवाने तुमको कैसे लवें दिखाय ।। जैसी बतावो देवा टाका तैसे साँचो करें उपाय-१० इनना मुनिक देवा वोले योगी वनो बनाफरराय ।। अलख जगए पुर घर घर में , याही सीघोसाद उपाय ११ गह मनमाई वधऊदन के दूनों लीन्ह्यो भस्म रमाय ।। को माला औ मृगछाला आला योगीरूप बनाय १२ गुदड़ी लोन्ही दोऊ ठाकुर . तामें छिपी दाल तलवार ।। 2