पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२६६

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उदयसिंहका विवाह । २६३ सोंकि समुन्दर चहु महि लेवे विल्ली लड़ें सिंहसों आय १०६ ये अनहोनी चहु कै ना झूठ न कहै लहुरवा भाय । इतना सुनिकै पाल्हा वोले अब तू चुप्पसाधिरहिजाय ११० टरिजा टरिजा री सम्मुख ते काहे बार बार बर्राय ।' ब्याहन जैबे हम नरवर में तहदिल होयँ बनाफरराय १११ इतना सुनिक सुनवाँ चलि मैं आल्हा रुपना लीन बुलाय ॥ लिखिकै चिट्ठी मलखानेको सिरसा तुरतदीन पठवाय ११२ खबरि पायकै मलखे गकुर दशहरिपुरै पहूँचे आय ।। हाथ जोरिकै दउ आल्हा के बोले चरणन शीश नवाय ११३ काह आज्ञा है दादा के जो सेवक का लीन बुलाय॥ सुनिक बातें मलखाने की पाल्हाहाल कहासमुझाय ११४ घोड़ खरीदन गे काबुल को नखर नैन खरीद्यनि जाय ॥ बनि बोगहा ऊदन बैठे चलियेव्याहकरनअवभाय११५ बड़ी खुशाली भै मलखे के बोले हाथ जोरि शिरनाय ।। न्यवत पठावो संब राजन को दादा भली बनी यह प्राय ११६ इतना मुनिक माल्ही ठाकुर तुरतै धावन लीन बुलाय ।। पाती लिखिकै सबराजन को तुरतै न्यवतै दीनपठवाय ११७ यक हरिकारा गा मुन्नागढ़ यक नैनागढ़ दीन पठाय॥ यक हरिकारा गा बौरीगढ़ दिल्ली एक पहूँचा जाय..११८ उरई कनउज सिरसा मोहले सवते न्यवत दीन पठवाय ॥ खबरि पायके सब राजागण दशहरिपुरै पहूंचे आय ११६ कीनि खातिरी सक्कै आल्हा डंका तुरत दीन बजवाय ।। बाजे डंका अहतंका के हाहाकार शब्दगा छाय १२० चावलिबोली फिरि आल्हा ते मानो कही बनाफरराय ।।