सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२६७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२६
आल्हखण्ड। २६४

रीती भाँती मल्हना करि है पाल्यो बारे दूध पिलाय १२१
कौन हितैषी है मल्हना सम ह्याँते कूच देउ करवाय॥
सुनिकै बातैं ये माता की आल्हा कूचदीन करवाय १२२
कीरतिसागर मदनताल पर डेरा गड़े नृपन के आय॥
आल्हा ऊदन मलखे सुलखे मल्हना महल पहूँचेजाय १२३
द्यावलि बिरमा सुनवाँ आदिक येऊ गई तहाँ पर आय॥
बड़ी खुशाली भै मल्हना के हमरे बूत कही ना जाय १२४
चूड़ामणि पण्डित को तुरतै आल्हा लीन तहां बुलवाय॥
तेल कि साइति सो बतलायो सुवरणकलशलीनमँगवाय १२५
घृतको दीपक धरि कलशापर चौकी तहाँ दीन डरवाय॥
ऊदन बैठे फिरि चौकी पर मनमें सुमिरि शारदामाय १२६
एक कुमारी तेल चढ़ावै गावन लगीं तहाँ सब गीत॥
आई बिरिया फिरि नहखुर की पगियाधरी शीशपरपीत १२७
कङ्कण बांधा गा हाथेमाँ शिरपर मौरदीन धरवाय॥
ब्याहके कपड़ा फिरि पहिरायो पलकीतुरतलीनमँगवाय१२८
सुमिरि भवानी मइहरवाली पलकी बैठ बनाफरराय॥
बेटी बैठी चन्दावाल तहँ राईलोन उतारति जाय १२९
चली पालकी बघऊदन की कुँवना पास पहूँची आय॥
इन्द्रसेन चन्द्रावलि दुलहा सोकुँवनापरगयोलिवाय १३०
रानी मल्हना त्यहि समयामें दीन्ह्यो कुँवाँ पैर लटकाय॥
पहिली भॉवरि के घूमत खन ऊदन लीन्ह्यो पैर उठाय १३१
प्राणनेग मैं तुमको दीन्हे माता काढु पैर हरपाय॥
याबिधि कहिकै सातों भॉवरि घुमे तहां बनाफरराय १३२
बेठे पलकी फिरि बघऊदन आल्हा नेगदीन चुकवाय॥