सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२७४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३३
उदयसिंहका बिवाह। २७१

गोला लागै ज्यहि सँड़िया के तुरतै गिरै भूमि अललाय १५
जौने बैलके गोला लागै मानो मगर झुल्याचै खायँ॥
जौने रथमाँ गोला लागै ताके टूक टूक ह्वैजायँ १६
बड़ी दुर्दशा भै तोपन में धुवना रहा सरग में छाय॥
दूनों दल आगे को बढ़िगे तोपन मारु बन्द ह्वैजाय १७
उठीं बँदूखै बादलपुर की जो नब्बे कै याक बिकाय॥
मघा के बूंदन गोली बरसैं झरसैं सबै शूर त्यहि घाय १८
दूनों दल आगे को बढ़िगे रहिगा एक खेत मैदान॥
भाला बरछी तलवारिन का लाग्यो होन घोर घमसान १९
अपन परावा कछु चीन्हैंना मारैं एक एक को ज्वान॥
सूंढ़ि लपेटा हाथी भिड़िगे घोड़न भिरी रान में रान २०
कउँधालपकनिबिजुलीचमकनि कहुँ कहुँ देखि परै तलवार॥
दूनों दिशिके रजपूतन ने कीन्ह्यो तहां भड़ाभड़मार २१
चलै कटारी बूँदी वाली ऊना चलै बिलाइति क्यार॥
तेगा धमकैं बर्दवान के कटि कटि गिरैं शूरसरदार २२
मुण्डन केरे मुड़चौरा भे औ रुण्डन के लगे पहार॥
रुधिर किसरितातहँ बहिनिकरी जूझे क्षत्री अमित अपार २३
हाथी सोहैं त्यहि सरिता माँ छोटे द्वीपण के अनुमान॥
परे बछेड़ा त्यहि नदिया माँ तिनको नदी कगाराजान २४
छुरी कटारी मछली ऐसी ढालै कछुवा परैं दिखाय॥
बहैं सेवारा जस नदिया माँ तैसे बहेब्यार तहँ जायँ २५
नचैं योगिनी खप्पर लीन्हे मज्जैं भूत प्रेत बैताल॥
परी लहासैं जो मनइन की तिनकाखावैं श्वानश्रृगाल २६
बड़ी सनेही नरदेही में कहुँ कहुँ चढ़े काक खगजायँ॥