पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२७४

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उदयसिंहका विवाह । २७१ गोला लागै ज्यहि सँड़िया के तुरतै गिर भूमि अललाय १५ जौने बैलके गोला लागै मानो मगर मुल्याचै खाय । जोने स्थमाँ गोला लागे ताके टूक टूक लैजायँ १६ बड़ी दुर्दशा भै तोपन में धुवना रहा सरग में छाय॥ दूनों दल आगे को बढ़िगे तोपन मारु बन्द लैजाय १७ • उठीं बदूखै बादलपुर की जो नब्बे कै याक विकाय ।। मघा के बूंदन गोली बरसैं झरसैं सबै शूर त्यहि घाय १८ दूनों दल आगे को बदिगे रहिगा एक खेत मैदान ।। भाला बरछी तलवारिन का लाग्यो होन घोर घमसान १६ अपन परावा कल्लु चीन्हेंना मारें एक एक को ज्यान ॥ संदि लपेटा हाथी भिडिगे घोड़न भिरी रान में रान २० कउँधालपकनिविजुलीचमकनि कहुँ कहुँ देति परै तलवार । दुनों दिशिके रजपूतन ने कीन्यो तहां भड़ाभड़मार २१ चले कटारी वृंदी वाली ऊना चले विलाइति क्यार ।। तेगा धमके वर्दवान के कटि कटि गिरें शूरसरदार २२ मुण्डन केरे मुड़चौरा मे औ रुण्डन के लगे पहार ॥ रुधिर किसरितातहँ बहिनिकरी जूझे क्षत्री अमित अपार २३ हाथी सोहें त्यहि सरिता माँ छोटे दीपण के अनुमान ॥ परे बछेड़ा त्यहि नदिया माँ तिनको नदी कगाराजान २४ ल्लरी कटारी मछली ऐसी ढाले कछवा परें दिखाय ।। चहें सेवारा जस नदिया माँ तैसे बहे भार तहँ जायँ २५ नचैं योगिनी खप्पर लीन्हे मज्जै भूत प्रेत वैताल । परी लहासें जो मनइन की तिनकाखावें श्वानमृगाल २६ बड़ी सनेही नरदेही में कहुँ कहुँ चढ़े काक खगजायें।