विजय हमारी नरवर होवै तुम सुनिलेउ शारदामाय ७२
एवमस्तु भा फिरि मठिया माँ इन्दल चलिभा शीशनवाय॥
आयसु माँग्यो फिरि माता ते सुनवाँलीन्ह्यो हृदयलगाय ७३
यन्त्र वांधिकै भुजदण्डन में मस्तक रुचना दियोलगाय॥
पढ़ि पढ़ि रक्षाके मन्त्रन को भूली जादू दीन बताय ७४
घोड़ करिलिया आल्हावाला इन्दल तुरत लीन कसवाय॥
बिदा मांगिकै महतारी सौं देबा साथ चले हरषाय ७५
देबी चलिकै मठभीतर सों नखर गढ़ै पहूंची आय॥
काठक घोड़ा बाण अजीता लीन्ह्योसेल शनीचरजाय ७६
किरपा करिकै जगदम्बा तहँ चेतन कीन फौजको जाय॥
इन्दल पहुंचे जब तम्बू में आल्हालीन्ह्यो गोदबिठाय ७७
चूम्यो चाट्यो हृदय लगायो औ सब दीन्ह्यो कथासुनाय॥
इन्दल बोल्यो तब आल्हा ते दादा सत्य देयँ बतलाय ७८
करो तयारी अब नरवर की सबकी कैद लेयँ छुड़वाय॥
ठाढो हाथी पचशब्दा था आल्हातुरत लीन सजवाय ७९
बैठे हाथी आल्हाठाकुर इन्दल तुरत भये तय्यार॥
बैठे कबुतरी पर मलखाने देबा भयो घोड़ असवार ८०
मारु मारु करि मौहरि बाजी बाजी हाव हाव करनाल॥
खर खर खर खर के रथ दौरे रब्बा चले पवनकी चाल ८१
कूचकराये आल्हा ठाकुर नरवरगढ़ै चले ततकाल॥
क्वउ क्वउ घोड़ा हिरनवाल पर क्वउ क्वउ चलें मोरकी चाल ८२
क्वउ क्वउ घोड़ा हंस चालपर क्वउ क्वउ सरपट रहे भगाय॥
कदम चालपर कोऊ घोड़ा केहू टाप न परै सुनाय ८३
या बिधि छैला अलबेला सब पहुँचे समरभूमि में जाय॥
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आल्हखण्ड। २७६
