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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२८१

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आल्हखण्ड। २७८

मुण्डन केरे मुड़ चौरा भे ओ रुण्डनके लगे पहार ९६
बड़ी लड़ाई भै नरवर में मकरँद इन्दल के मैदान॥
बड़े लड़ैया दूनों ठाकुर रणमाँ करैं घोर घमसान ९७
मकरँद बोला तहँ हिरिया ते यहिपर छाँड़ो घोर मशान॥
इतना सुनतै इन्दल ठाकुर हिरिया पास पहूँचा ज्वान ९८
पकरिकै जूरा त्यहि हिरियाको इन्दल काटिलीन ततकाल॥
जादू झूठी भइँ हिरिया की तुरतै ह्वैगै हाल बिहाल ९९
देखि दुर्दशा यह हिरिया के मकरँद खैंचि लीन तलवार॥
ऐंचिकै मारा सो इन्दल के इन्दल लीन ढालपर वार १००
बचा दुलरूवा आल्हावाला त्यहिका राखिलीन भगवान॥
औ ललकारा मकरन्दा को मामा मौत आपनी जान १०१
ढाल कि औझरि इन्दलमारा मकरँद गिरा मूरछाखाय॥
उतरिकै घोड़ी ते मलखाने तुरतै मुशकलीन बँधवाय १०२
मकरॅद बँधिगे समरभूमि में भगिगे सबै सिपाही ज्वान॥
कोउन रहिगा त्यहि समया में जो क्षण एक करै मैदान १०३
कूच करायो आल्हा ठाकुर तम्बुन फेरि पहूँचे आय॥
खवरि पाय कै नरपति राजा तुरतै गयो सनाकाखाय १०४
कछू न सूझी तब नरपति को अपने मंत्री लये बुलाय॥
मंत्र पूँछिकै तिन मंत्रिन सों आल्हा पास पहूॅचे आय १०५
हाथ जोरिकै नरपति बोले मानो कही बनाफरराय॥
कैद छुड़ावो सुत हमरे की अपने शूर लेउ छुड़वाय १०६
बेटी ब्याहे हम ऊदन को सुख सों लौटि मोहोबे जाउ॥
दगा जो राखें तुम्हरे सँग मॉ खरपति कह्यो हमारोनाउॅ १०७
सुनिकै बातैं ये नरपति की आल्हा मकरँद दीन छुड़ाय॥