जायके छोंड़्यो राजा सबको तम्बू गयो यऊ सब आय १०८
साइति शोधी चूड़ामणि ने आल्है खबरि दीन पहुँचाय॥
काल्हि सबेरे भौंरी ह्वैहें नरपति खबरिंगये यहपाय १०९
इतना सुनिकै माहिल चलिभा लिल्ली घोड़ीपर असवार॥
जायकै पहुँचा नखरगढ़ में जहँपर नरपति का दरबार ११०
बड़ी खातिरी राजा कीन्ह्यो अपने पास लीन बैठाय॥
माहिल बोले तहँ राजा ते मानो कही हमारी भाय १११
शूर छिपावो तुम महलन में भौंरिन कटा देउ करवाय॥
जाति बनाफर की नीची है हल्ला देशदेश अधिकाय११२
पानी पीहै कोउ तुम्हरे ना मानो नरवर के महराज॥
पगिया अरझी नहिं माहिलकै भावै तौन करो तुमकाज ११३
इतना कहिकै माहिल चलिभे तम्बुन फेरि पहूँचे आय॥
तैसे कीन्ह्यो नरपति राजा जैसे माहिल गये बताय ११४
माड़ो छायो मालिन तुरतै राजै खम्भ दीन गड़वाय॥
गऊ के गोबर आँगन लीप्यो बारिनि तुरततहांपरआय ११५
चौक बनावन प्रोहित लाग्यो आईं नगर सुहागिल धाय॥
ब्याह गीत सब गावन लागीं उत्सवदेखिपरै अधिकाय ११६
तब मकरन्दा को बुलवायो नरपति हालकह्यो समुझाय॥
लैकै नेगी तुम चलिजावो घरके ठाकुर लवो बुलाय ११७
इतना सुनिकै मकरँद चलिभा नाई बारी सङ्ग लिवाय॥
जायकै पहुँच्यो त्यहि तम्बू में जहँपर बैठि बनाफरराय ११८
हाथ जोरिकै मकरँद बोल्यो जो कछु राजै दीन सिखाय॥
दशै आदमी भौंरिन आवैं यह जब सुन्यो बनाफरराय ११९
विस्मय कीन्ह्यो आल्हा मनमाँ मकरँद फेरि कहा समुझाय॥
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उदयसिंहका बिवाह। २७९
