पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२८२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

उदयसिंहका विवाह । २७६ जायके छोड्यो राजा सबको तम्बू गयो यऊ सब आय १०८ साइति शोधी चूड़ामणि ने आल्है खबरि दीन पहुँचाय ॥ काल्दि सवेरे भौंरी ढहें नरपति खबरिंगये यहपायर०९ इतना सुनिके माहिल चलिभा लिल्ली घोड़ीपर असवार ॥ जायकै पहुँचा नवरगढ़ में जहँपर नरपति का दरबार ११० बड़ी खातिरी राजा कीन्हो अपने पास लीन बैठाय ।। माहिल बोले तहँ राजा ते मानो कही हमारी भाय १११ शूर छिपावो तुम महलन में भौरिन कटा देउ करवाय ॥ जाति बनाफर की नीची है हल्ला देशदेश अधिकाय११२ पानी पीहै कोउ तुम्हरे ना मानो नखर के महराज ।। पगिया अरझी नहिं माहिलकै भावै तीन करो तुमकाज ११३ इतना कहिक माहिल चलिमे तम्बुन फेरि पहूँचे आय ॥ तैसे कीन्यो नरपति राजा जैसे माहिल गये बताय ११४ माडो छायो मालिन तुरतै राजै खम्भ दीन गड़वाय ।। गऊ के गोबर आँगन लीप्यो बारिनि तुरततहांपरआय ११५ चौक बनावन प्रोहित लाग्यो आई नगर सुहागिल धाय । व्याह गीत सब गावन लागी उत्सवदेखिपरै अधिकाय ११६ तब मकरन्दा को बुलवायो नरपति हालकह्यो समुझाय।। लैकै नेगी तुम चलिजावो घरके ठाकुर लवो बुलाय ११७ इतना सुनिकै मकरंद चलिभा नाई बारी सङ्ग लिवाय ।। जायकै पहुँच्यो त्यहि तम्बू में जहँपर वैठि बनाफरराय ११८ हाथ जोरिक मकरंद बोल्यो जो कछु राजै दीन सिखाय ।। दशै आदमी भौरिन आवे यह जवसुन्यो वनाफरराय ११६ विस्मय कीन्यो आल्हा मनमौ मकरंद फेरि कहा समुझाय ।। 11