पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२९०

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चन्द्रावलि की चौथि । २८७ बिदा होन जव ऊदन लागे मल्हना छातीलीनलगाय ३५ कहि समुझावा भल ऊदन को कीन्ह्यो रारि नहीं तुम जाय। देश पराये में गमखाना यहही नीति बनाफरराय ३६ इतना कहिक रानी मल्हना आशिर्वाद दीन हरषाय ॥ सुमिरि भवानी मइहरवाली मनियादेव हृदयमों ध्याय ३७ तुरत बेंदुला पर चढ़ बैठ्यो औ चलि दियो वनाफरराय ॥ माहिल शाले चंदेले के सोतो गये महोबे आय ३८ गये कचहरी परिमालिक की माहिल वोल शीश नवाय॥ सबियां क्षत्री ह्याँ बैठे हैं पै नहिं ऊदन परें दिखाय ३६ इतना सुनि के राजा बोले नीके हैलहुस्खा भाय । पता लगावें माहिल ठाकुर कहँ पर गये बनाफरराय ४० नीके जाने सब माहिल को इनके चुगलिन का वयपार ।। क्छउन बतावा तहँ माहिल को कह पर उदयसिंह सरदार ४१ तह ते उठिक माहिल चलिमे मारग पता लगावत जायँ ।। चुगुल शिरोमणि माहिल ठाकुर याते कौन देय बतलाय ४२ मालिनि चिटिपा उरईवाली बेही नगरमोहोवे भाय ।। पता ने पायो जव काहू ते माहिल गये तासुघर धाय ४३ हाल बतायो सब माहिल को सुनते कूच दीन करवाय ॥ जायकै पहुँचे फिरि दिल्ली में जहँ पर रहै पिथौराराय ४४ ऊदन पहुँचे ह्याँ दिल्ली में डेरा परा बाग में जाय ।। बड़ी खातिरी भै माहिल के राजा पास लीन बैठाय ४५ माहिल वोले तहँ राजाते मानो कही पिथौराराय ।। ऊदन आये हैं मोहवे ते साँचे हाल देय बतलाय ४६ काल्हि सवेरे मलखे अइहैं दिल्ली देहैं आगिलगाय ।।