पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२९५

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आल्हरखण्ड । २६२ दिन दश रहिके तुम बौरी में पाछे विदा लियो करवाय ६५ कवहूं आयो नहिं वोरी को नाहर उदयसिंह सरदार ॥ जायके भेंटो अब बहिनी को इतनी मानो कही हमार ६६ इतना सुनिक बघऊदन ने अपने साथ जुरावर लीन ॥ जाय बेदुलापर चढ़िवठा महलनगमन बगिहीकीन ६७ अगे जरावर पीछे ऊदन महलन वेगि पहूँचे जाय ॥ चरण लागि महरानी के ऊदन सामा दीन मँगाय ६८ देखें सामा महरानी तहूँ औरो नारिन लीन बुलाय ।। देखिकै सामा चंदेले की सबके खुशीभई अधिकाय ६६ मटुका खुलिगे मेवावाले घर घर तुरत दीन बँटवाय ॥ दर दर गाथा चंदेले की घर घर रहे नारि नर गाय १०० यकटक देखें बघऊदन को क्षत्री बड़ा रंगीला ज्वान ।। रूप देखिकै वघऊदन को नारिन छूटिगयो अरमान १०१ जिन नहिं देखा बघऊदन को तेऊ/ गई तहाँपर आन । जव मुख देखें वघऊदन को तब चुभिजाय करेजेबान १०२ बेटी प्यारी परिमालिक की भेंटी उदयसिंहको आय ॥ लाज ससेटी वेटी भेंटी बैठा सकुचि बनाफरराय १०३ तवलों माहिल दाखिल द्वैगे औं दरबार पहूँचे आय ॥ कियो खातिरी वीरशाह ने अपने पास लीन बैठाय १०४ कियो बड़ाई जब ऊदन की माहिल ठाकुर सों महगज ॥ मादिल बोले महराजा ते आवत सुने हमारे लाज १०५ कियो प्रशंसा तुम ऊदन की जान्यो भेद नहीं महिपाल ।। राज्यते वाहर इनको कीन्ह्यो क्रोधितभयोबहुतपरिमाल १०६ मान्छा रहिंगे नेनागद में अदन यहाँ पहुँचे आय ।।