घोड़ी कबुतरी की पीठी पर बैठ्यो सिरसा का सरदार २
चढ़ा मनोहर की पीठी पर देबा मैनपुरी चौहान॥
ब्रह्मा ठाकुर हरनागर पर बैठे सुमिरि राम भगवान ३
गर्भ गिरावनि कुँवाँ सुखावनि लछिमिनि तोप भई तय्यार॥
ढाढ़ी करखा बोलन लागे बिप्रन कीन बेद उच्चार ४
रणकी मौहरि बाजन लागी घूमन लागे लाल निशान॥
छाय लालरी गै अकाश में लोपे अन्धकार सों भान ५
पहिल नगारा में जिन बन्दी दुसरे बांधिलीन हथियार॥
तिसर नगाराके बाजत खन हाथी घोड़न भये सवार ६
चौथ नगारा बाजन लाग्यो मलखे कूच दीन करवाय॥
हाथी चलिभे दल बादल सों घण्टा गरे रहे हहराय ७
कोउ कोउ घोड़ा हंस चालपर कोउ कोउ मोरचालपरजाय॥
सरपट जावै कोउ कोउ घोड़ा केहू टाप न परै सुनाय ८
खर खर खर खर कै रथ दौरे रब्बा चलैं पवनकी चाल॥
मारु मारूकै मौहरि बाजैं बाजैं हाव हाव करनाल ९
बाजैं डङ्का अहतङ्का के बङ्का सबै शूर सरदार॥
शङ्का नाहीं क्यहु जियरे में चहुदिन रातिचलै तलवार १०
लश्कर पहुँचा सब दिल्ली में क्षत्रिन कीन तहाँ विश्राम॥
इकलो मलखे त्यहि समया में पहुँचा पृथीराज के धाम ११
बड़ी खातिरी राजा कीन्ह्यो तहँ पर बैठ वीर मलखान॥
सबियाँ गाथा बौरीगढ़ की मलखे कीन तहाँपर गान १२
सुनी हकीकति जब मलखे की चौंड़ा सूरज लीन बुलाय॥
चिट्ठी दीन्ह्यो पृथीराज ने चौंड़े फेरि कह्यो समुझाय १३
कह्यो जवानी वीरशाह ते जल्दी बिदा देयँ करवाय॥
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आल्हखण्ड। २९८
