बिदा करावैं चन्द्रावलि को तब यश जाय जगतमेंछाय ५०
इतना सुनिकै आल्हा ठाकुर बोले करौ यहै अब भाय॥
हुकुम पायकै यहु आल्हा को मलखे कूच दीन करवाय ५१
चलिभै फौजैं दलबादल सों बौरीगढ़ै गईं नगच्याय॥
प्रलय मेघ सम बजैं नगारा हाहाकार शब्द गा छाय ५२
गा हरिकारा तब बौरी में राजै खबरि जनाई जाय॥
फौजै आईं क्यहु राजा की बौरी डांड़ दबायनि आय ५३
सुनिकै बातैं हरिकाराकी राजा गयो सनाकाखाय॥
मलखे बोले ह्यां रूपन ते कहियो बीरशाह ते जाय ५४
सुरुँग खोदिकै बघऊदन को आल्हा ठाकुर लीन निकारि॥
बिदा कराये बिन जैहैं ना ताते करो नहीं तुमरारि ५५
बहिनी ब्याही तुम्हरे घरमाँ ताते क्षमाकीन यहिबार॥
नहिं अस ठाकुर को जन्माजग जाते मानि लीन हमहार ५६
इतना सुनिकै रूपन चलिभा बौरीगढ़ै पहूँचा जाय॥
खबरि सुनाई महराजा को, जो कछु कह्यो बनाफरराय ५७
सो नहिं भाई बीरशाह मन बोल्यो तुस्त बचन ललकार॥
काह हकीकति है आल्हा कै आवैं बिदा करावन द्वार ५८
हठ नहिं छोड़्यो दुर्य्योधन ने औ मरिगयो सहित परिवार॥
खबरि जनावो तुम आल्हा को हमरे साथ करैं तलवार ५९
इतना सुनिकै रूपन चलिभे फौजन फेरि पहूँचे आय॥
कही हकीकति बीरशाह की सुनि जरि उठे बनाफरराय ६०
हुकुम लगायो निज फौजनमें सबियां शूर होयँ तय्यार॥
हुकुम पायकै मलखाने को क्षत्रिन बांधिलीन हथियार ६१
गजे चढ़ैया गजपर चढ़िगे बाँके घोड़न भे असबार॥
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आल्हखण्ड। ३०२
