पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३०६

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चन्दावलि की चौथि । ३०३ भीलम वखतर पहिरिसिपाहिन हाथम लीन ढाल तलवार ६२ यक यक भाला दुइ दुइ बरछी कोताखानी लीन कटार ।। रणकी मौहरि बाजन लागी रणका होनलाग ब्यवहार ६३ सजा बेदुला का चढ़वैया लाला- देशराज का लाल ।। को गति वरणै मलखाने के जाको डरें देखि नरपाल ६४ बड़ा लडैया भीषमवाला देवा मैनपुरी · चौहान ॥ ब्रह्मा ठाकुर सजि ठाढो भो करिकै रामचन्द्रको ध्यान ६५ दाढी करखा वोलन लागे बन्दी कीन समरपद गान॥ वाजे डंका अहतंका के घूमनलागे लाल निशान ६६ हिंया कि गाथा ऐसी गुजरी सुनिये बीरशाहको हाल ।। सुरज जुरावर दोउ पुत्रन को तुरतै बोलि लीन नरपाल ६७ करो तयारी समरभूमिकै अपनी फौज लेउ सजवाय ।। जान न पावै मोहबेवाले सबकी कटा देउ करवाय ६८ हुकुम पायकै महराजा को डंका तुरत दीन वजवाय ॥ सजे सिपाही बौरी वाले मनमाँ श्रीगणेशपदध्याय ६६ अंगद पंगद मकुना भौंरा सजिगे श्वेतवरण गजराज ॥ सजि इकदन्ता दुइदन्ता गे तिनपर होदा रहे विराज ७० कच्छी मच्छी नकुला सब्जा हरियल मुश्की घोड़ अपार ॥ ताजी तुरकी पंचकल्यानी सुरखा सुरूँगा भये तयार ७१ चढ़ि अलबेला तिन घोड़नपर अपने वांधि लये हथियार ।। हथी चढैया हाथिन चदिगे हाथम लिये ढाल तलवार ७२ वाजी तुरही मुरही ऐसी पुप्पू पुप्पू परा सुनाय॥ वाजे डफला अलवेला सत्र शूरन मेला दीन लगाय ७३ मारु मारु करि मोहरि वाजी बाजी हाव हार करनाल ।।