पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३०७

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आल्ह खण्ड । ३०४ खर खर खर वर के रथ दौरे रब्वा चले पवनकी चाल ७४ सुर्खा घोड़ा चढ़ जुरावर सूरज सजापर असवार । सुमिरि भवानी सुत गणेश को दोऊ चलन भये सरदार ७५ घोड़न वरणों की असवारन पैदर सेना तीस हजार ॥ तीन सहस हाथिन पर सोहैं बाँके यादव परम जुझार ७६ बाम्हन थोरे क्षत्री ज्यादा लीन्हे कठिन धार तलवार । गर्जति आवें समरमूमि को एकते एक शूर सरदार ७७ कायर हल्ला खलभल्ला में तल्ला छोड़ि प्राण के दीन । खुशी छायगै मन शूरन के मानों जीति इन्दपुर लीन ७८ वजे नगारा उनकारा के दारा गर्भपात सुनिकीन ॥ गये दरारा उर कायर के सायर सत्यसत्य कहिदीन ७६ उड़ घिरकारें अपने तनका मनमाँ बार बार पछितायें । भैसि वियानी घर हमरे मा माठ/ दूध केर अधिकाय ८० हाय रुपैया मारे डारें लीन्हे समरभूमि को जायँ । दैया मैया भैया कहिके, ज्वैया हेतु बहुत पछितायँ ८१ शूर यशोमति मैया वाले भैया गैयन के चरवाह ॥ नाव खेवैया भवसागर के नागर कृष्णचन्द्र नरनाह तिनका सुमिरणमनअन्तरकरि तत्पर भये स्वामि के काज ।। करि अभिलाषा समरभूमि के राखे मनै धर्म की लाज =३ पढ़िअशलोकनतजिशोकनको लोकन केर मिले जनुराज ॥ तैसे गाने मनअन्तर में वाजे तहाँ शूर शिरताज ८४ चाजे बाजे बाजे सुनिकै लाजे मने आपने बीच ।। तिनकोकहियतहमअपनीदिशि जानोसकल नरनमेंनीच८५ इम अनुमाना मन अपने है जाना नारि वित्तको कीच।। .