खर खर खर खर कै रथ दौरे रब्बा चले पवनकी चाल ७४
सुर्खा घोड़ा चढ़ जुरावर सूरज सब्जापर असवार॥
सुमिरि भवानी सुत गणेश को दोऊ चलन भये सरदार ७५
घोड़न बरणों की असबारन पैदर सेना तीस हजार॥
तीन सहस हाथिन पर सोहैं बाँके यादव परम जुझार ७६
बाम्हन थोरे क्षत्री ज्यादा लीन्हे कठिन धार तलवार॥
गर्ज्जति आवैं समरमूमि को एकते एक शूर सरदार ७७
कायर हल्ला खलभल्ला में तल्ला छोंड़ि प्राण के दीन॥
खुशी छायगै मन शूरन के मानों जीति इन्दपुर लीन ७८
बजे नगारा ठनकारा के दारा गर्भपात सुनिकीन॥
गये दरारा उर कायर के सायर सत्यसत्य कहिदीन ७९
उइ धिरकारैं अपने तनका मनमाँ बार बार पछितायें॥
भैंसि बियानी घर हमरे मा माठा दूध केर अधिकाय ८०
हाय रुपैया मारे डारैं लीन्हे समरभूमि को जायँ॥
दैया भैया भैया कहिकै ज्वैया हेतु बहुत पछितायँ ८१
शूर यशोमति मैया वाले भैया गैयन के चरवाह॥
नाव खेवैया भवसागर के नागर कृष्णचन्द्र नरनाह ८२
तिनका सुमिरणमनअन्तरकरि तत्पर भये स्वामि के काज॥
करि अभिलाषा समरभूमि कै राखे मनै धर्म की लाज ८३
पढ़िअशलोकनतजिशोकनको लोकन केर मिले जनुराज॥
तैसे गाने मनअन्तर में बाजे तहाँ शूर शिरताज ८४
बाजे बाजे बाजे सुनिकै लाजे मनै आपने बीच॥
तिनकोकहियतहमअपनीदिशि जानोसकल नरनमेंनीच८५
हम अनुमाना मन अपने है जाना नारि वित्तको कीच॥
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आल्हखण्ड। ३०४
