छायँ अँधेरिया गै दशहूदिशि कतहुँ न सूझै अपन बिरान ९६
धावा ह्वैगा दोऊ दल का दोऊ भये बरोबरि आय॥
सूरजगकुर बौरी वाला सिरसा क्यार बनाफरराय ९७
दोऊ सोहैं भल घोड़नपर लीन्हे हाथ ढाल तलवार॥
द्वउ ललकारन मारन लागे सम्मुख होत होत सरदार ९८
सुँढ़ि लपेटा हाथी भिडिगे अंकुश भिड़ा महौतनक्यार॥
हौदा हौदा यकमिल ह्वैगा औ असवार साथ असवार ९९
कल्ला भिड़िगे असवारन के लागी होन भड़ाभड़ मार॥
छूटे ऊना लण्डन वाले कोताखानी चली कटार १००
बिजुली दमकै कउँधा चमकै तैसे धमकिरही तलवार॥
मलखे ठाकुर शूर जुरावर दोऊ लड़नलागि सरदार १०१
सूरज ऊदन की भेंटन में लेटनलागि सिपाही ज्वान॥
परे लपेटे भट भेटे जे लेटे समर भूमि मैदान १०२
मनो ससेटे यम भेटे मे लेटे क्षत्री परम जुझार॥
वह पनारा तहँ रक्तन के औ हिलक्वारा उठैं अपार १०३
को गति बरणै तहँ पैदल की बाजै घूमि घूमि तलवार॥
अपन परावा कछु सूझैना जूझै जूझ बूझ त्यहिवार १०४
बड़ी लड़ाई भै बौरीगढ़ मलखे सूरज के मैदान॥
फिरि फिरि मारै औ ललकारै नाहर समरधनी मलखान १०५
बड़ा लड़ैया सिरसा वाला ज्यहिते हारि गई तलवार॥
घोड़ी कबुतरी रणमें नाचे साँचे शूरबीर सरदार १०६
सुरज बोले तिन मलखे ते ठाकुर मानो कही हमार॥
लौटि मोहोबे जल्दी जावो तबहीं कुशलरचाकरतार १०७
इतना सुनिकै मलखे बोले तुमते साँच देयँ बतलाय॥
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आल्हखण्ड। ३०६
