सर सर मारैं तलवारिन सों तीरन मन्न मन्न गा छाय १३२
धम् धम् धम् धम् बजैं नगारा मारा मारा परै सुनाय॥
झम्झम्झम्झम्झीलमझलकैं नीलम रंग परैं दिखराय १३३
चम् चम् चम् चम् भाला चमकैं दमकैं उडुगण मनों अकाश॥
बम् बम् बम् बम् क्षेत्री बँबके भभकैं शूरनकेर प्रकाश १३४
सवैया॥
आश करैं नहिं प्राणन की ललिते रणशूरन रीति सदाहै।
प्राण कि नाश कि कीर्त्ति प्रकाश कि आश नहीं सुख या बिपदाहै॥
बीर कि शान कि पान कि मान कि ठानठने मलखान यदाहै।
शान कि आन करे रणज्वान सो प्राणपयान कियेयीतदाहै १३५
को गति बरणै मलखाने कै रणमाँ कठिन करै तलवार॥
घोड़ बेंदुला का चढ़वैया नाहर उदयसिंह सरदार १३६
गनि गनि मारै रजपूतन का बेटा देशराज का लाल॥
मोहनठाकुर बौरी वाला आला बीरशाहका बाल १३७
बिकट लड़ाई की संयुग में कायर भागे लिहे परान॥
बड़ा लड़ैया भीषमवाला आला मैनपुरी चौहान १३८
लड़ै चौंड़िया दिल्लीवाला बेटा लड़ै पिथौराक्यार॥
को गति बरणै इन्द्रसेन कै दूनों हाथ करै तलवार १३९
मलखे बोले इन्द्रसेन से जीजा मानों कही हमार॥
बहिनी बेही तुम्हरे घरमाँ तुमते सदा हमारीहार १४०
अबै मसाला कछु बिगराना अनभल नहीं कीन कर्त्तार॥
बिदा कराये बिन जैबे ना मानो सत्यबचन सरदार १४१
फौजै फ्यारो समरभूमि ते बौरी जाउ आप ततकाल॥