तुम ससुझावो महराजा को काहे रारि करैं नरपाल १४२
इतना सुनिकै इन्द्रसेन ने गरूई हाँक कीन ललकार॥
काह हकीकति तुम राखतिहौ जावो बिदाकरावन द्वार १४३
इतना कहिकै इन्द्रसेन ने अपनी खैंचि लई तलवार॥
दौरिकै पकरयो उदयसिंह ने मलखे बाँधिलीनत्यहिवार१४४
देखिकै बन्धन इन्द्रसेन को मोहनआयगयो त्यहिकाल॥
मारन लाग्यो रजपूतन को मोहन बीरशाहका लाल १४५
औरो भाई जे मोहन के तेऊ करनलागि तलवार॥
झुके सिपाही बौरीवाले लागे करन भड़ाभड़मार १४६
पैदरि पैदरि के वरणी भै औ असवार साथ असवार॥
बड़ी लड़ाई हाथिन कीन्ह्यो घोड़न कीन टापकीमार १४७
लीन्हे साँकरि दल बादलसों हाथी करत फिरैं चिग्धार॥
भाला छूटैं असवारन के पैदल खूब चलै तलवार १४८
झुके सिपाही मोहबेवाले इनहुन कीन घोर घमसान॥
चौंड़ा बाम्हन के मुर्चा में कोऊ शूर नहीं समुहान १४९
सोहै चौंड़िया इकदन्ता पर हाथम लिये ढाल तलवार॥
मोहन ठाकुर बौरी वाला सब्जा घोड़ापर असवार १५०
हनि हनि मारै रजपूतन का गरूई हाँक देय ललकार॥
अभिरे क्षत्री अरमबारा सों आमाझ्वारचले तलवार १५१
जौनै हौदा ऊदन ताकैं बेंदुल तहाँ पहुँचै जाय॥
ऊदन मारैं तलवारिन सों बेंदुल टापन देइँ गिराय १५२
भाला चमकै तहँ देवा का मोहन केरि चलै तलवार॥
घोड़ी कबुतरी का चढ़वैया मलखे सिरसाका सरदार १५३
मारि गिराये रजपूतन का कायर भागे लिहे परान॥
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आल्हखण्ड। ३१०
