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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३१५

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आल्हखण्ड। ३१२

बन्धनसुनिकै सब लड़िकनको राजा गये सनाकाखाय १६६
खबरि पहुँचिगै रनिवासे में राजा रानी लीन बुलाय॥
चौहर आई चन्द्रावलि तहँ सोऊगई कथा सब गाय १६७
हमरे घरके माहिल वैरी उनके चुगुलिनका वयपार॥
कहा मानिकै तुम माहिल का दादा किह्योयहांलग रार १६८
ना सुनिपावा मैं पहिले ते माहिलदीन्ह्यो रारि लगाय॥
तौ अस हालत कसहोतै अब तबहीं देति सबै समुझाय १६९
योगी बनिकै ब्रह्मा आये सूरति दीख दूरि ते माय॥
होति खटपटी जो ऊदन ते ब्रह्माभाय न अउतोधाय १७०
टेक कठिन है बघऊदन कै हम खुब जानैं ठीक स्वभाव॥
मिलिये दादा अब आल्हा ते याही जानो नीक उपाव १७१
सुनि सुनि बातैं सब बौहर की रानी नृपति दीन समुझाय॥
सुनिकै बातैं महरानी की राजा ठीक लीन ठहराय १७२
आगि लगाई माहिल ठाकुर नातेदारी दीन तुराय॥
राजा सोचत यह अपने मन पहुँचातुरतसिंहासनआय१७३
कलम दवाइति कागज लैकै चिट्ठी लिखनलाग ततकाल॥
जितनी बातैं माहिल कहिगा लिखिगेयथातथ्यनरपाल १७४
फिरि कछु बातैं चन्द्रावलिकी लल्लो पत्तो लिखा बनाय॥
बन्धन छोरो सब पुत्रन को तुरतै बिदा लेउ करवाय १७५
कीनि घटिहई माहिल ठाकुर नाहक रैसा दीन लगाय॥
कहा मानिकै हम माहिल का साँचोसाँच गयन बौराय १७६
लिखी विधाता कै मेटै को साँचो कहैं गीत सब गाय॥
लिखिकै चिट्ठी दै धावन को राजा बैठिगये शिरनाय १७७
लैकै चिट्ठी धावन चलिभा पहुँचा जहाँ बनाफरराय॥