पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३२०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अथ पाल्हखण्ड। पलखबुखारे की लड़ाई अथवा इन्दल हरण व बिवाह वर्णन॥ । 5 सवैया।।.. बाजत झांझ मृदंग तहाँ औ सबै मुश्चंगनसों स्वर गावें। काजत तार सितारनके यकत" की गति कौन बतावें ।। राजत बीण तहाँ तवला अवरु जहँ झंडन मुंडन आवे । गाजत कृष्ण तहाँ ललिते अब जहाँ शिव गोपीरूप बना ? मुमिरन । मैया भैया और बपैया सब दिशि देखा खूब निहार ॥ बिना चरैया गैयावाला दैया कौन होय रखवार ? बुढ़े नैया भवसागर में कोउ न मिले खेवैया हाल ।। मैया यशुमति केर कन्हैया भैया साँच कहें मुरपाल २ पारलगैया म्वरि नैया के गैयापाल कृष्ण महराज ॥ और खेवैया को नेया का जाकीशरण ले हम आज ३