ऊदन देबा मकरँद ठाकुर तीनों एक जगा मे आय॥
ऊदन बोले तब देबा ते दादा शकुन देउ बतलाय २
भाई भौजी माता छोटी फुलया ऐसि छूटिगै नारि॥
पता लगाये बिन घर जावैं दादा डरै जानसों मारि ३
माता तलफति घरमा होई भौजी होई हाल बिहाल॥
मल्हना रानी रोवति होई होइहैं दुखी रजापरिमाल ४
हाल बतावों का फुलवा के मुर्दासरिस होयगी बाल॥
जेठ दशहरा दुशमन ह्वैगा कहिये काह करैं यहिकाल ५
इकलो बेटा म्बरे भैया के सबविधि रूपशील गुणवान॥
क्षमा न करिहैं सो बेटा बिन यह हम ठीक कीन अनुमान ६
इतना सुनिकै देवा बोला भैया उदयसिंह सरदार॥
प्रश्न हमारो यह बोलत है योगी बनो फेरि यहिवार ७
यह मनभाई उदयसिंह के मकरँद साथ भयो तय्यार॥
तिलकलगायो फिरिकेशरिका गेरुहा वस्त्र पहिरि सरदार ८
गुदरी डारी फिरि कांवेमाँ त्यहिमाँपरी ढाल तलवार॥
डमरू लीन्यो मकरन्दा ने बँसुरी उदयसिंह सरदार ९
खँझड़ी लीन्ह्यो देवाठाकुर मकरँद बोलिउठा त्यहिवार॥
महल हमारे पहिले चलिये पाछे अनत चलेंगे यार १०
सम्मत करिकै तीनों योगी पहुँचे जाय राजदरवार॥
बैठ सिंहासन नरपति राजा देवा कीन्ह्यो राम जुहार ११
पै पहिंचाना जब नरपति ना मकरँद हाथ जोरि शिरनाय॥
जितनी गाथा बघऊदन की सो राजा को दीन बताय १२
हाल जानिकै महराजा ने तुरतै हुकुम दीन फर्माय॥
तहँते चलिभे मकरँद ऊदन माता पास पहूँचे आय १३
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आल्हखण्ड। ३३२
