पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३३५

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आल्ह खण्ड। ३३२ ऊदन देवा मकरंद ठाकुर तीनों एक जगा मे आय ॥ ऊदन वोले तब देवा ते दादा शकुन देउ वतलाय २ भाई भौजी माता छ.टी फुलया ऐसि छूटिंगै नारि॥ पता लगाये विन घर जावें दादा डरै जानसों मारि ३ माता तलफति घरमा होई मौनी होई हाल विहाल ।। मल्हना रानी रोवति होई होइहैं दुखी रजापरिमाले ४ हाल बतावों का फुलवा के मुर्दासरिस होयगी बाल । जेठ दशहरा दुशमन द्वैगा कहिये काह करै यहिकाल ५ इकलो बेटा म्बरे भैया के सरविधि रूपशील गुणवान॥ समान करिहैं सो बेटा चिन यह हम ठीक कीन अनुमान ६ इतना मुनिक देवा बोला भैया उदयसिंह सरदार ।। प्रश्न हमारो यह बोलत है योगी वनो फेरि यहिवार ७ यह मनभाई उदयसिंह के मकरंद साथ भयो तय्यार ।। तिलकलगायो फिरिकेशरिका गेरुहा बत्र पहिरि सरदार ८ गुदरी डारी फिरि कांवेमाँ त्यहिमाँपरी ढाल तलवार । डमरू लीन्यो मकरन्दा ने वसुरी उदयसिंह सरदार ६ बझड़ी लीन्यो देवाठाकुर मकरँद बोलिउठा त्यहिवार ।। महल हमारे पहिले चलिये पाछे अनत चलेंगे यार १० सम्मत करिके तीनों योगी' पहुँचे जाय राजदरवार । चैठ सिंहासन नरपति राजा देवा कीन्ह्यो राम जुहार ११ पै पहिचाना जब नरपति ना मकरंद हाथ जोरि शिस्नाय।। जितनी गाथा बघऊदन की सोराजा को दीन वताय १२ हाल जानिक महराजा ने तुरतै हुकुम दीन फर्माय ।। तहते चलिमे मकरंद ऊदन मावा पास पहुँचे आय १३