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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३३६

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इन्दलहरण। ३३३

मर्म जानिकै महतारीने आशिर्बाद दीन हरषाय॥
मकरँदचलिभा निजमहलनको पहुँचा नारिपास सो जाय १४
कही हकीकति सब रानी सों कुसुमा बोली शीश नवाय॥
पहिले जैयो तुम झुन्नागढ़ तहँपर पता लगैयो जाय १५
घर घर जादूई झुन्नागढ़ कन्ता सत्य कहौं समुझाय॥
तुमहूं जावो ऊदन सँग में हमरो चित्त बहुतघबड़ाय १६
इतना कहिकै कुसुमारानी पुरिया चारि दीन पकराय॥
रखिहौ मुखमाँ यह पुरिया जब जादूसकी निकट नहिंआय १७
लैकै पुरिया मकरन्दा फिरि तहँ ते कूच दीन करवाय॥
देबा ऊदन जहँ ठाढ़े थे मकरँद तहाँ पहूँचा आय १८
सम्मत करिकै तीनों योगी झुन्नागढ़ै चले फिरिधाय॥
सातरोजकी मैजलि करिकै झुन्नागढ़े पहूँचे आय १९
बाजा डमरू मकरन्दा का खँझड़ी मैनपुरी चौहान॥
बाजी बँसुरी तहँ ऊदन की गावनलाग राग कल्यान २०
तान कान में ज्यहिके जावे त्यहिके जाय प्रान पर आन॥
मोहित ह्वैगे नरनारी सब लागे हृदय तान के बान २१
भा खलभल्ला औ हल्लाअति लल्ला छांड़ि चलीं तब बाल॥
होश बजुल्ला ना छल्ला का []अल्लाध्यानकरैंत्यहिकाल २२
भये दुपल्ला उरपल्ला तब कल्लन कल्ला दीन भिड़ाय॥
प्राणन तल्ला तज्यो इकल्ला लल्ला जौनु बनाफरराय २३
बड़ी भीर भै गलियारे में नाचै देशराज का लाल॥
बाजै डमरू जस मकरँद के देबा देय तैसही ताल २४
रूप देखिकै तिन योगिन का जादू करैं अनेकन नारि॥


  1. *(अल्ला) देबी का नाम है।