पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३४४

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इन्दलहरण । ३४१ पारसहे जिनके घरमा तिनकी लघुता कहि कौन दिखाई। राजनराज समाजबढ्यो औचढ़योललिते यशसिंधुउफाई१०८ इतना कहिकै मलखाने ने औरो हाल दीन बतलाय ॥ विदामांगिकै परिमालिक ते दशहरिपुरै पहूँचे आय १०६ मलखे देवा इन्दल सँगमाँ महलन गये बनाफरराय ।। 'रूप देखिकै इन तीनों का आल्हा गढ़ भये हर्षाय ११० बड़ी खुशाली मन अन्तरभै भो यह बोले बचन सुनाय ।। कहाँ बनाफर बचऊदन हैं हमरे परम सनेही भाय १११ नेही गेही नरदेही को इनसोंअधिक कौनदिखलाय।। परम सनेही यहि देही का नही टिका कहाँपर जाय ११२ डाटा डपटा नहिं ऊदन का पाला प्रीति रीति अधिकाय॥ गुपही प्यारे हैं मानुष के जानौयुगनयुगनतुमभाय ११३ होय निर्गुणी जो दुनिया मा जहँ तहँ बैठे पेट खलाय ॥ यह यश गैहें जे आगे नर खेहैं पुवा कचौरी भाय ११४ कलियुग आवाहै दुनियामा सब सों कलह देय करवाय॥ भूप युधिष्ठिर यहि डरिभागे गलिगेशैलहिमालयजाय११५ क्षण क्षण बुद्धी उलट पुलटे पण्डित मूर्व बनाभाय ।। उड़ें सुहारा सम परदारा पारा चलें पेट में भाय ११६ वश नहिं इन्द्री अब काहूकी कलियुग नीच मीच सुखदाय।। ऋषी कहावे जे मनइनमा तिनहुनकामदेय बहकाय ११७ यह परितापी अरु पापी अति व्यापीभयो जगत में आय ॥ हाय रुपैया यहि समया में देया वाप् रहा कहाय ११८ दिना कन्हैया के ध्याये ते विपदा कोन हटाचे आय ।।