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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३५१

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आल्हखण्ड। ३४८

त्यहिकी समता का हंसा ना पै तहँ युद्ध करै बिकराल १९१
कोगति बरणै तहँ हंसा कै ध्वंसा बड़े बड़े सरदार॥
भई प्रशंसा तहँ हंसा कै क्षत्रीडारि भागि तलवार १९२
बड़ा प्रतापी अरि परितापी सुर्खा घोड़े पर असवार॥
गनि गनि मारै रजपूतन को क्षत्री खेलै खूब शिकार १९३
भागीं पईहै मोहबेवाली आली खानदान को ज्ञान॥
आयकै गर्ज्यो त्यहि समयामें नाहरसमरधनी मलखान १९४
अकसर मलखे के जियरे पर अरुझे बड़े बड़े सरदार॥
जीति न पावैं मलखाने ते औमुहँफेरिलेयँ त्यहिवार १९५
देबा बोला तब ऊदन ते ठाकुर बेंदुल के असवार॥
अकसर मलखे के ऊपर माँ क्षत्री अरुझे तीनिहजार १९६
भागीं सेना मुहबेवाली अकसर लड़ै बीर मलखान॥
इतना सुनिकै ऊदन चलिमा संगमचलाचौंड़ियाज्वान १९७
ब्रह्मा मकरँद जगनायकजी येऊ चलतभये त्यहिबार॥
जोगा भोगा देबा ठाकुर मन्नागूजर परम जुझार १९८
ये सब पहुँचे समरभूमि में हाथमें लिये नॉगि तलवार॥
बलखबुखारे के क्षत्रिन को मारनलागि ढूँढ़िसरदार १९९
बड़ी कसामसि समरभूमि भै कहुँ तिलडरा भूमि ना जाय॥
छाय लालरीगै अकाश में सबसँग ध्वजारहे फहराय २००
घोड़ा हींसैं समरभूमि में सावन यथा मेघ घहरायँ॥
हाथी चिघरैं रणमण्डल में कायर समर न रोंकैंपायॅ २०१
शूर सिपाही ईजतवाले ते तहँ मारु मारु बर्रायँ॥
कऊ तमंचा को धरि धमकै कोऊदेयँ गुर्ज के घाय २०२
कोऊ मारैं तलवारी सों कोऊ मारैं ढाल घुमाय॥