पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३५१

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३२ आल्हसण्ड। ३९८ त्यहिकी समता का हंसा ना पै तहँ युद्ध करें विकराल १६१ कोगति वरण तहँ हंसा के घंसा बड़े बड़े सरदार ॥ भई प्रशंसा तह हंसा के क्षत्रीडारि भागितलवार १६२ बड़ा प्रतापी अरि परितापी सुर्खा घोड़े पर असवार ॥ गनि गनि मारै रजपूतन को क्षत्री खेले खूब शिकार १६३ भागी मोहवेवाली आली खानदान को ज्ञान ॥ आयकै गयो त्यहि समयामें नाहरसमरधनी मलखान १६४ अकसर मलखे के जियरे पर अरुझे बड़े बड़े सरदार ॥ जीति न पावें मलखाने ते औमुहँफेरिलेय त्यहिवार १६५ देवा बोला तब ऊहन ते ठाकुर वेहुल के असवार ।। अकसर मलखे के ऊार माँ क्षत्री अरुझे तीनिहजार १६६ भागी सेना मुहवेवाली अकसर लड़ें वीर मलखान ।। इतना सुनिकै ऊदन चलिमा संगमचलाचौंडियाज्वान१६७ ब्रह्मा मकरंद जगनायकजी येऊ चलतमये त्यहिबार-॥ जोगा भोगा देवा ठाकुर मन्नार्जर परम जुझार १६८ ये सब पहुँचे समरभूमि में हाथमें लिये नॉगि तलवार ॥ चलखबुखारे के क्षत्रिन को मारनलागि ढूँदिसरदार १६६. चड़ी कसामसि समरभूमि में कहुँ तिलडरा भूमि ना जाय ॥ छाय लालरीगे अमाश में सबसँग धजारहे फहराय २०० घोड़ा हीसे समरभूमि में सावन यथा मेघ घहरायः ।। हाथी चिघरै रणमण्डल में कायर समर न रोकपाय २०१ शूर सिपाही ईजतवाले ते तह मारु मारु बर्राय ॥ कऊ तमंचा को धरि धमकै कोऊदेय गुर्ज के घाय २०२ कोड मार तलवारी सों कोऊ मारें दाल घुमायः।।