पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३५२

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इन्दलहरण । ३४६ पटा बनेठी बाना जाने तेनर मारें गदा चलाय २०३ बलखबुखारे का अभिनन्दन मलखे साथ करें तलवार ।। इंसा ठाकुर उदयसिंह ये दोऊ लड़ें तहाँ सरदार २०४ सुक्खालड़िका अभिनन्दनका मकरंद नरपति राजकुमार ।। अपने अपने दउ मुर्चा मा मारें एक एक ललकार २०५ देवाठाकुर औ मोहन का परिगा समर बरोबरि प्राय ।। बड़ी लड़ाई क्षत्रिन कीन्यो कायर भागे पीठि दिखाय२०६ जितने कायर दुहुँतरफा के तरलोथिन के रहे लुकाय ।। हेला आवै जब हाथिन का तब विन मरे मौत लैजाय२०७. कागति बरणों में कायर के मनमा बार बार पछितायें । हाय रुपैयन के लालच ते हमरे गई प्राणपर आय २०८, . करित नौकरी क्यहु बनियांके हल्दी धनियां के बयपार ।। तो नहिं बिपदा हमपर आवत छूटत नहीं लोग परिवार २०९ कायर सोचें यह अपने मन शूरन होय अनन्दाचार ।। गिरि उठि मार समरभूमि में दोऊ हाथ करें तलवार २१० छाँड़ि आसरा जिंदगानी का क्षत्रिन कीन घोरघमसान। दोउदल अरुझे समरभूमिमा. मारैं एकएक को ज्ञान २११ कटिकटि कल्लागिरें समर में उठि उठि रुण्डकरें तलवार । मुण्डन केरे मुड़ चौरा मे औं रुण्डन के लगेपहार २१२, परी लहासैं जो मनइन की निनकाखा श्वान सियार ॥ मेला हगा तहँ गीधन का चील्हनसीधाका व्यवहार २१३ न. योगिनी खप्परलीन्हे मज्जै भूत प्रेत बैताल ।। धरु धरु धरु धरु मारो मारो बोले बच्छराजका लाल २१४ सदन ता ज्यहि होदाका .दुल वहाँ देइ पहुँचाय॥