पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३७६

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लाखनिका विवाह । ३७५ देश हमारे की रीती यह इकलो लड़िका देउ पठाय.८० नाई वारी दूनों नेगी इनको लेवें संग लिवाय ।। इतना सुनिकै ऊदन वोले दोऊ हाथ जोरि शिस्नाय १ ग्यारह नेगी औ सहिवाला इतने पछै देउ महराज । इतना सुनिकै राजा बोले भावै करो तोन तुमकाज ८२ जो मन भावै सो करु ऊदन तुमको दीन पूर अधिकार ॥ बनि सहिबाला तब ऊदन गे. नेगी बने और सरदार ८३ बेठि पालकी में लखराना अपनी लिये ढालतलवार । संग जवाहिर के चलि दीन्हे नेगीवने शूर सरदार ८४ श्रासा लीन्हे कोउ हाथेमा मुरछल कोऊ डुलावतजाय ॥ झण्डी, लीन्हे कोऊ नेगी कोऊ रहे मशाल दिखाय ८५ बूंदी केरे नर नारी सब भारी भीर कीन अधिकाय ॥ रूप देखिकै लखराना का मनमें कामदेव शर्माय ८६ धरी पालकी गै फाटक पर बैठे सबै शूर सरदार। यक यक भाला दुइ दुइ बरछी कम्मर परी एकेतलवार ८७ बाहर आये तब गंगाधर औलाखनिते कह्यो सुनाय । जल्दी चलिये तुम भीतर को भौरीसमयगयो नगच्याय ८८ इतना सुनिकै ऊदन ठाकुर नेगी लीन्हे संग लिवाय ।। भीतर पहुँचा जब मन्दिर के तह नहिंखम्भपरादिखराय : लौटन लाग्यो जब बाहर को आये शूरवीर तब धाय ।। मारु मारु के हल्ला करिके ऊदन उपर पहूँचे आय ६० चली सिरोही तब आँगनमा हाहाकार शब्दगा छाय॥ नेगी बनिकै जे क्षत्री गे तेसब दीन्हो जूझ मचाय ६१ तेरा क्षत्री कनउजवाले बूंदी केर पाँचमै ज्यान ।