पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३८६

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लाखनिका विवाह । ३८५ मारु मारु करि मौहरि बाजे बाजै हाच हाव करनाल । 'बड़ी लड़ाई में बूंदीमाँ जूझे बड़े बड़े नरपाल १६ पैदल पैदल के बरणी भै औ असवार साथ असवार ।। कोताखानी चलें. कटारी ऊनाचले बिलाइति क्यार २० कटिकटि कल्ला गिरें खेतमाँ उठि उठि फेरि करें तलवार । ना मुह फेरै कनउज वाले ना ई बूंदी के सरदार २१ ब्रह्मा मलखे दक्षिण दिशिसों पहुँचे बीच शहरमें आय ॥ बड़ा कुलाहल मा बृंदी माँ काहू धीर धरा ना जाय २२ लीन्हे फौजे मलखाने फिरि फाटक उपर पहुँचा जाय। औ कहि पठवा गंगाधर को सबकी कैद देउ छुटवाय २३ नाहीं बचिहौ ना महलन माँ बूंदी शहर देउँ फुकवाय ।। सुना सँदेशा महराजा जव मनमाँ बार बार पछिताय २४ पै जब सूझी कछु मनमाँ ना सबकी कैद दीन छुटवाय ।। घायल करहति ऊदन लाखनि मलखे पास पहूँचे आय २५ मिला भेट करि सब आपस में उत्तर दिशा चले हर्षाय ॥ एक तरफ सों जयचंद राजा दुसरी तरफ बनाफरराय २६ वती जवाहिर परे बीचमाँ सबके गयी प्राणपर आय ॥ बड़ी लड़ाई में यूँदी मा अद्भुत समर कहा नाजाय २७ मारे मारे तलवारिन के नदिया बही रक्तकी धार । मुण्डन केरे मुड़चौड़ा भे औ रुण्डन के लगे पहार २८ घोड़मनोहर की पाठी सों देवा गरू देय ललकार ।। चढ़ा कबुतरी पर मलखाने ऊदन वेंदुलपर असवार २६ भयोजवाहिर फिरि सम्मुख माँ लीन्हे तीनिलाख असवार । का गति चरणों में मोती के दूनों हाथ करें तलवार ३० i