आधे आँगन भाँवरि होवैं आधे होय भड़ाभड़ मार॥
मारे मारे तलवारिन के आँगन वही रक्त की धार ५३
काटिकै कल्ला दुइ पल्ला करि लल्ला वच्छराज के लाल॥
लड़ैं इकल्ला अति हल्लाकरि अल्ला[१] खैर करैं त्यहिकाल ५४
भा खलमल्ला औ हल्ला अति वल्लन क्यार मनो त्यवहार॥
काटि बजुल्ला सोने छल्ला लल्ला उदयसिंह सरदार ५५
हनि हनि मारै श्री ललकारै देवा मैनपुरी चौहान॥
म्वती जवाहिर दूनों भाई लीन्हे तहाँ अनेकन ज्वान ५६
बड़ी लड़ाई करिहारे तहँ पै नहिं विजय परी दिखराय॥
तब पछितान्यो फिरि गंगाधर दीन्ह्यो मारु वन्द करवाय ५७
कन्या दान दीन आनँद सों नेगिन नेग दीन हर्षाय॥
सातो भाँवरि पूरी करिकै पूरा ब्याह दीन करवाय ५८
बिदा न करिखे हम ब्याहे में लीन्ह्यो गवन सालमें आय॥
इतना कहिकै गंगाधर जी दायज खूबदीन अधिकाय ५९
बात मानिकै चन्दले फिरि तहँ ते कूच दीन करवाय॥
बिदा मांगिकै मलखे ब्रह्मा पहुँचे नगर मोहोबे आय ६०
बाजत डंका अहतंका के कनउज गये कनौजी आय॥
अनँद बधैया घर घर बाजीं मंगल गीतरही सब गाय ६१
रानी तिलका त्यहिअवसर में बिप्रन दान दीन अधिकाय॥
द्दवी शारदा के बरदानी दूनों भाय बनाफरराय ६२
सवैया॥
गावत गीत सबै तिनको जिनको कछु ज्ञान बलै अधिकाई।
- ↑ १—(अल्ला) देबी का नाम है।