पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३८९

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। C आल्हखण्ड। ३८८ । आधे आँगन भाँवरि होवें आधे होय भडाभड़ मार॥ मारे मारे तलवारिन के आँगन वही रक्त की धार ५३ काटिक कल्ला दुइ पल्ला करि लल्ला बच्छराज के लाल ॥ लड़ें इकल्ला अति इल्लाकरि अल्ला खैर करें त्यहिकाल ५४ भा खलमल्ला औ हल्ला अति वल्लन क्यार मनो त्यवहार ।। काटि वजुल्ला सोने छल्ला लल्ला उदयसिंह सरदार ५५ हनि हनि मारै श्री ललकारे देवा मैनपुरी · चौहान ॥ म्वती जवाहिर दूनों भाई लीन्हे तहाँ अनेकन ज्यान ५६ बड़ी लड़ाई करिहारे तहँ पैनहिं विजय परी दिखराय ।। तब पचितान्योफिरि गंगाधर दीन्यो मारु बन्द करवाय ५७ कन्या दान दीन आनँद सों नेगिन नेग दीन हर्षाय ॥ सातो भाँवरि पूरी करिके पूरा ब्याह दीन करवाय ५८ विदा न करिखे हम ब्याहे में लीन्यो गवन सालमें आय ॥ इतना कहिकै गंगाधर जी दायज खूबदीन अधिकाय ५६ चात मानिकै चन्दले फिरि तह ते कूच दीन करवाय ॥ विदा मांगिक मलखे ब्रह्मा पहुँचे नगर मोहोवे आय ६० वाजत डंका अहतंका के कनउज गये कनौजी आय ॥ अनँद बधैया घर घर बाजी मंगल गीतरही सब गाय ६१ रानी तिलका त्यहिअवसर में विप्रन दान दीन अधिकाय॥ युवी शारदा के बरदानी दूनों भाय बनाफरराय ६२ सवैया॥ गावत गीत सबै तिनको जिनको कछु ज्ञान चलै अधिकाई । १-(भद्धा ) देवी का नाम है।