पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३९२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अथ पाल्हखण्ड। गाँजर की लड़ाईका प्रारम्भ ॥ सवैया॥ दानिन में बलि औ हरिचन्द शिवी दधि कर्ण इन्ही यश पाये। बीरन में गिनती रघुबीर औ धीरन कृष्ण युधिष्ठिर गाये ॥ पापिन औं परितापिन में जग कंस दशानन बीर सुनाये। जापिन योग उदार अपार सदाशिवही ललिते मन आये १ सुमिरन ॥ प्रथमें ध्यावों श्री गणेश को लीन्हे सुभग पुस्तकी हाथ ॥ करों बन्दना शिवशंकर की दूनों धरों चरणपर माथ १ देबि दूर्गा को ध्यावों फिरि लैकै रामचन्द्र को नाम ।। कीरति गावों में ऊदन के पूरणकरो हमारो काम २ 'दैवि शारदा मइहरवाली मनियादेव · महोवे केर॥ “ध्यावों ललिता नैमिपार की माता' मोरि दीनता हेर ३ नहीं वीरता का मोमें है तव बल धरी धीरता हीय ॥