पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३९५

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fo आल्हतगढ़। ३६४ रेशम रस्सन सों कसिकै फिरि साँखों सीदी दीन लगाय॥ बारह कलशन की अम्बारी तिनपर धरी तुरतही जाय २१ घण्टा बांधे तिन के गर माँ क्षत्री होन लागि असंवार ।। भूरी हथिनी लखराना की सोऊ बेगि भई तय्यार २३ चन्दन सीढ़ी तामें लागी वामें लाखनि भये सवार । हाथी सजिगा जब आल्हा का हाथ म लई दाल तरवार २४ मनमाँ सुमिरयो जगदम्बा का अम्बा लाज तुम्हारे हाथ ॥ बेच्यो हाथी पर आल्हा जव नायो रामचन्द्र को माथ २५ हथी चढ़ेया हाथिन चढ़िगे छोड़न होन लागि असवार ।। घोड़ बेंदुला की पीठी पर चदिगो द्यावलिकर कुमार २६ घोड़ पपीहा मोहबे वालो तापर जोगा भयो सवार ।। हंसामनि घोड़ा के ऊपर इन्दल आल्हा केर कुमार २७ घोड़ मनोहर पर देवा है भोगा सबजा पर असवार।। या विधि सेना सब इकठोरी बारहलाख भई तय्यार २६ मारू डका बाजन लागे घूमन लागे लाल निशान ॥ कऊ नालकिन कऊ पालकिन कोऊचढ़े साँड़िया ज्वान २६ आगे हलका है हाथिन का बलका तिनके नाहि ठिकान॥ घण्टा बाजें गल हाथिन के जहँ सुनिपरैबात नहिकान ३० चिघरति हाथी आगे चलि मे पाछे घोडन चली कतार ।। सरपट घोड़ा कोउ दउरावै कावा देवे कोऊ सवार ३१ कोउ मन पावै असवारे का तो असमान पहूँचै जाय ॥ कोउ कोउ घोड़ा हंस चालपर कोउकोउमोरचालपरजाय ३२ खर स्वर खर खर के रथ दौरें चह चह रही धुरी चिल्लाय॥ बायअँधेरिया गै दशहूदिशि भापनपरैन हाथ दिखाव ३५